सत्यं शिवं सुन्दरम्

इस ब्लॉग का ध्येय, सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति का प्रसार करना तथा सन्तों के दुर्लभ प्रवचनों को जन-जन तक पहुंचाने का है | हम केवल धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर प्रामाणिक जानकारियों को ही प्रकाशित करते हैं। आत्मकल्याण तथा दुर्लभ-सत्संग हेतु हमसे जुड़ें और अपने सभी परिवारजनों और मित्रों को इसके लाभ की बात बताकर सबको जोड़ने का प्रयास करें | भगवान् में लगना और दूसरों को लगाना ‘परम-सेवा’ है | अतः इसका लाभ उठाना चाहिए |

शुक्रवार, 31 मार्च 2023

आत्महत्या पाप है !

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जो क्रोध में आकर अथवा किसी बात से दु:खी होकर आत्महत्या कर लेता है, वह दुर्गति में चला जाता है अर्थात् भूत-प्रेत-पिशाच बन जाता है...
गुरुवार, 30 मार्च 2023

श्रीराम नवमी के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं !!

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जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल । चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल ॥ भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी । हरषित महतार...
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बुधवार, 29 मार्च 2023

गीता में ज्योतिष

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महाप्रलयपर्यन्तं कालचक्रं प्रकीर्तितम् । कालचक्रविमोक्षार्थं श्रीकृष्णं  शरणं व्रज ॥ ज्योतिष में काल मुख्य है अर्थात् काल को लेक...
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मंगलवार, 28 मार्च 2023

।। ॐ नमश्चण्डिकायै ।।

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माँ ! इस पृथ्वीपर तुम्हारे सीधे-सादे पुत्र तो बहुत-से हैं, किंतु  उन सब में मैं ही अत्यन्त चपल तुम्हारा बालक हूँ; मेरे-जैसा चञ्चल  कोई विरला...
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श्री रामचन्द्र चरणौ शिरसा नमामि

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“कलिजुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास। गाइ राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास।।“ (यदि मनुष्य विश्वास करे, तो कलियुग के समान दूसरा युग नह...
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सोमवार, 27 मार्च 2023

पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी (पोस्ट 02)

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श्रीराम, माँ कौसल्या से कहते हैं कि अब इस निर्गुण भक्ति का साधन बतलाता हूँ---  अपने धर्म का अत्यंत निष्काम भाव से आचरण करने से, ...
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पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी (पोस्ट 01)

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एक दिन जब श्रीरघुनाथ जी एकांत में ध्यानमग्न थे, प्रियभाषिणी श्री कौसल्याजी ने उन्हें साक्षात् नारायण जानकर अति भक्तिभाव से उनके पास आ उन्हें...
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रविवार, 26 मार्च 2023

अथ देव्याः कवचम्‌ (पोस्ट ०९)

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नश्यन्ति व्याधयः सर्वे लूताविस्फोटकादयः। स्थावरं जंगमं चैव कृत्रिमं चापि यद्विषम्‌॥४८॥ अभिचाराणि सर्वाणि मन्त्रयन्त्राणि भूतले। ...
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शनिवार, 25 मार्च 2023

अथ देव्याः कवचम्‌ (पोस्ट ०८)

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पदमेकं न गच्छेतु यदीच्छेच्छुभमात्मनः। कवचेनावृतो नित्यं यत्र यत्रैव गच्छति॥४३॥ तत्र तत्रार्थलाभश्च विजयः सार्वकामिकः। यं यं चिन्...
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जय माँ दुर्गे !!

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  “न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा:| न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं परं जाने ...
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