कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई ॥
अर्थ- श्रीहनुमान् जी कहते हैं- 'हे प्रभो! विपत्ति वही है कि जब आपका भजन-स्मरण नहीं होता !
श्रीहनुमान् जी विपत्ति की परिभाषा बतलाते हैं। जिस समय सुमिरन-भजन न हो उसी समयका नाम विपत्ति है। सुमिरन-भजन न होने का मतलब संसार की ओर उन्मुख होना है। दूसरे शब्दोंमें यह कहा जा सकता है कि मनका बहिर्मुख होना ही विपत्ति है। शङ्कर भगवान् कहते हैं कि 'सत हरि भजन जगत सब सपना।' 'सपना' का भाव यह है कि सब जगत् क्षणभङ्गुर है। क्षणभङ्गुर का नाश ही होगा, अत: उसमें मन लगाने वाले को पदे-पदे विपत्ति है।
Jay shree. Ram
जवाब देंहटाएं🌺🏵️🥀 जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंअब प्रभु कृपा करहूं एही भांति
सब तज भजन करहूं दिन राती
दीन दयाल विरद संभारी
हरहुं नाथ मम संकट भारी
🥀🪷🌹जय श्रीराम 🙏🙏
जवाब देंहटाएंजय सियाराम जय हनुमान जी महाराज 🙏🙏