सोमवार, 21 जुलाई 2025

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन

एवं कुटुम्बभरणे व्यापृतात्माजितेन्द्रियः ।
म्रियते रुदतां स्वानां उरुवेदनयास्तधीः ॥ १८ ॥
यमदूतौ तदा प्राप्तौ भीमौ सरभसेक्षणौ ।
स दृष्ट्वा त्रस्तहृदयः शकृन् मूत्रं विमुञ्चति ॥ १९ ॥
यातनादेह आवृत्य पाशैर्बद्ध्वा गले बलात् ।
नयतो दीर्घमध्वानं दण्ड्यं राजभटा यथा ॥ २० ॥
तयोर्निर्भिन्नहृदयः तर्जनैर्जातवेपथुः ।
पथि श्वभिर्भक्ष्यमाण आर्तोऽघं स्वमनुस्मरन् ॥ २१ ॥
क्षुत्तृट्परीतोऽर्कदवानलानिलैः
     सन्तप्यमानः पथि तप्तवालुके ।
कृच्छ्रेण पृष्ठे कशया च ताडितः
     चलत्यशक्तोऽपि निराश्रमोदके ॥ २२ ॥
तत्र तत्र पतन्छ्रान्तो मूर्च्छितः पुनरुत्थितः ।
पथा पापीयसा नीतस्तरसा यमसादनम् ॥ २३ ॥

इस प्रकार जो मूढ़ पुरुष इन्द्रियों को न जीतकर निरन्तर कुटुम्ब-पोषणमें ही लगा रहता है, वह रोते हुए स्वजनोंके बीच अत्यन्त वेदनासे अचेत होकर मृत्युको प्राप्त होता है ॥ १८ ॥ इस अवसर पर उसे लेने के लिये अति भयङ्कर और रोषयुक्त नेत्रोंवाले जो दो यमदूत आते हैं, उन्हें देखकर वह भयके कारण मल-मूत्र कर देता है ॥ १९ ॥ वे यमदूत उसे यातनादेहमें डाल देते हैं और फिर जिस प्रकार सिपाही किसी अपराधीको ले जाते हैं, उसी प्रकार उसके गलेमें रस्सी बाँधकर बलात् यमलोककी लंबी यात्रामें उसे ले जाते हैं ॥ २० ॥ उनकी घुड़कियोंसे उसका हृदय फटने और शरीर काँपने लगता है, मार्गमें उसे कुत्ते नोचते हैं। उस समय अपने पापोंको याद करके वह व्याकुल हो उठता है ॥ २१ ॥ भूख-प्यास उसे बेचैन कर देती है तथा घाम, दावानल और लूओंसे वह तप जाता है। ऐसी अवस्थामे जल और विश्राम-स्थानसे रहित उस तप्तबालुकामय मार्गमें जब उसे एक पग आगे बढऩेकी भी शक्ति नहीं रहती, यमदूत उसकी पीठपर कोड़े बरसाते हैं, तब बड़े कष्टसे उसे चलना ही पड़ता है ॥ २२ ॥ वह जहाँ-तहाँ थककर गिर जाता है, मूर्छा आ जाती है, चेतना आनेपर फिर उठता है। इस प्रकार अति दु:खमय अँधेरे मार्गसे अत्यन्त क्रूर यमदूत उसे शीघ्रतासे यमपुरीको ले जाते हैं ॥ २३ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से

1 टिप्पणी:

  1. 💐🌿💐जय श्रीहरि: 🙏
    ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

    जवाब देंहटाएं