मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

श्रीदुर्गासप्तशती श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट ०७)


श्रीदुर्गादेव्यै नमो नम:

अथ श्रीदुर्गासप्तशती
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट ०७)

ग्रीवायां धृतकान्तिकान्तपटलं ग्रैवेयकं सुन्दरं
सिन्दूरं विलसल्ललाटफलके सौन्दर्यमुद्राधरम् ।
राजत्कज्जलमुज्ज्वलोत्पलदलश्रीमोचने लोचने
तद्दिव्यौषधिनिर्मितं रचयतु श्रीशाम्भवि श्रीप्रदे ॥ ७॥

धन देनेवाली शिवप्रिया पार्वती! तुम गलेमें बहुत ही चमकीली सुन्दर हँसली पहन लो, ललाट के मध्यभागमें सौन्दर्यकी  मुद्रा (चिह्न) धारण करनेवाले सिन्दूरकी बिंदी लगाओ तथा अत्यन्त सुन्दर पद्मपत्रकी शोभाको तिरस्कृत करनेवाले नेत्रों में यह काजल भी लगा लो, यह काजल दिव्य ओषधियों से तैयार किया गया है॥७॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक कोड 1281 से







1 टिप्पणी:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३) देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन एवं स्वभरण...