बुधवार, 31 जनवरी 2018

||श्रीराधाकृष्णाभ्यां नम:||

||श्रीराधाकृष्णाभ्यां नम:||

जिस घर में नित्यप्रति श्रीमद्भागवत की कथा होती है, वह तीर्थरूप हो जाता है और जो लोग उसमें रहते हैं, उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं ॥

“कथा भागवतस्यापि नित्यं भवति यद्‌गृहे ।
तद्‌गृहं तीर्थरूपं हि वसतां पापनाशनम् ॥ “

...... (श्रीमद्भागवतमाहात्म्य ०३/२९)


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०२)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०२) देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन आत्मजायासु...