बुधवार, 30 जनवरी 2019

मुकुंद माधव गोविन्द बोल | केशव माधव हरि हरि बोल || हरि हरि बोल हरि हरि बोल | कृष्ण कृष्ण बोल कृष्ण कृष्ण बोल ||






विवेकीजन सङ्ग या आसक्ति को ही आत्मा का अच्छेद्य बन्धन मानते हैं; किन्तु वही सङ्ग या आसक्ति जब संतों-महापुरुषों के प्रति हो जाती है, तो मोक्ष का खुला द्वार बन जाती है ॥

प्रसङ्गमजरं पाशं आत्मनः कवयो विदुः ।
स एव साधुषु कृतो मोक्षद्वारं अपावृतम् ॥

....श्रीमद्भागवत..३|२५|२३




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