मंगलवार, 24 जनवरी 2023

“ईशस्य हि वशे लोको... ..."

|| जय श्रीहरि ||

जैसे कठपुतली, नचानेवाले की इच्छा के अनुसार ही नाचती है, वैसे ही यह सारा संसार ईश्वर के अधीन है ॥

“ईशस्य हि वशे लोको योषा दारुमयी यथा ॥“

….श्रीमद्भागवत १|६|७


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१) देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन कपिल उवाच ...