सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:

“चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् |
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ||”

( श्री रघुनाथ जी का चरित्र सौ करोड विस्तार वाला है और उसका एक एक अक्षर भी मनुष्यों के महान् पापों को नाश करने वाला है )


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१) देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन कपिल उवाच ...