मंगलवार, 14 मार्च 2023

जय श्री राम

“तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन । जानहिं भगत भगत उर चंदन॥“

( हे रघुनंदन ! हे भक्तों के हृदय को शीतल करनेवाले चंदन ! आपकी ही कृपा से भक्त आपको जान पाते हैं )


1 टिप्पणी:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०२)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०२) देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन आत्मजायासु...