शनिवार, 6 अप्रैल 2019

श्रीदुर्गासप्तशती श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट १५)



श्रीदुर्गादेव्यै नमो नम:

अथ श्रीदुर्गासप्तशती
श्रीदुर्गामानस पूजा (पोस्ट १५)

शरत्प्रभवचन्द्रमः स्फुरितचन्द्रिकासुन्दरं
गलत्सुरतरङ्गिणीललितमौक्तिकाडम्बरम् ।
गृहाण नवकाञ्चनप्रभवदण्डखण्डोज्ज्वलं
महात्रिपुरसुन्दरि प्रकटमातपत्रं महत् ॥ १५॥

महात्रिपुरसुन्दरी माता पार्वती! तुम्हारे सामने यह विशाल एवं दिव्य छत्र प्रकट हुआ है, इसे ग्रहण करो। यह शरत्-काल के चन्द्रमा की चटकीली चाँदनी के समान सुन्दर है। इसमें लगे हुए सुन्दर मोतियों की झालर ऐसी जान पड़ती है, मानो देवनदी गङ्गा का स्रोत ऊपर से नीचे गिर रहा हो। यह छत्र सुवर्णमय दण्ड के कारण बहुत शोभा पा रहा है॥ १५ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीदुर्गासप्तशती पुस्तक कोड 1281 से




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४) देह-गेहमें आसक्त पुरुषोंकी अधोगतिका वर्णन एवं कुटुम्...