भक्तवाञ्छाकल्पतरु लीलापुरुषोत्तम
भगवान् श्रीकृष्ण के अवतरणदिवस
(श्रीकृष्ण जन्माष्टमी - स्मार्त) पर
हार्दिक शुभकामनाएं !!
भगवान कृष्ण का जन्म और मरण कभी नहीं होता है | वे अपनी योगमाया से नाना प्रकार के रूप धारण करके लोगों के सम्मुख प्रकट होते हैं | भगवान की यह योगमाया उनकी अत्यन्त प्रभावशालिनी ऐश्वर्यमयी शक्ति है | भगवान् का अवतार जीवों के जन्म की भाँति नहीं होता है | वे अपने भक्तों पर अनुग्रह करके उन्हें अपनी शरण प्रदान करने के लिए अनेक दिव्य लीला-कार्य करने के लिए अपनी योगमाया से जन्मधारण की केवल लीलामात्र करते हैं | जब भगवान् अवतार लेते हैं तब उनके अवतारतत्त्व को न समझने वाले अज्ञानी लोग उनका जन्म हुआ मानते हैं और जब वे अन्तर्धान हो जाते हैं, उस समय उनका विनाश समझ लेते हैं | भगवान् का अवतारी शरीर प्राणियों के शरीर की भांति प्राकृत उपादानों से बना हुआ नहीं होता है | मनुष्य भगवान् के जन्म-कर्मों की दिव्यता को जिस समय समझ लेता है, उसी समय से वह आसक्ति, अभिमान, अहंकार और समस्त कामनाओं तथा राग-द्वेषादि समस्त दुर्गुणों का त्याग करके समभाव , अनन्यभाव और निष्कामभाव से भगवान् की भक्ति करने लगता है और मरने के बाद उसका पुनर्जन्म नहीं होता, वह भगवान् के परमधाम को चला जाता है | भगवान् श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं ----
“जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वत: |
त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ||”