इस ब्लॉग का ध्येय, सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति का प्रसार करना तथा सन्तों के दुर्लभ प्रवचनों को जन-जन तक पहुंचाने का है | हम केवल धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर प्रामाणिक जानकारियों को ही प्रकाशित करते हैं। आत्मकल्याण तथा दुर्लभ-सत्संग हेतु हमसे जुड़ें और अपने सभी परिवारजनों और मित्रों को इसके लाभ की बात बताकर सबको जोड़ने का प्रयास करें | भगवान् में लगना और दूसरों को लगाना ‘परम-सेवा’ है | अतः इसका लाभ उठाना चाहिए |
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- श्रीमद्भागवत महापुराण स्कन्ध 7 से 12
- श्रीमद्भागवतमहापुराण स्कंध 1 से 6
- श्रीमद्भागवतमाहात्म्य
- श्रीमद्भागवतमाहात्म्यम् (स्कन्दपुराणान्तर्गत)
- स्तोत्र
बुधवार, 27 अगस्त 2025
#जय श्री गजानन#
मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024
# कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने । प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम: ॥
मननशील मुनि इन
सबके रूप में श्रीकृष्णपद को ही प्राप्त करता है ।।
........गीता
प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीगर्ग संहिता (विश्वजित् खण्ड- ३३/२२-२३)
सोमवार, 2 अक्टूबर 2023
भगवद्भक्त का महत्त्व
श्री परमात्मने नम:
श्रीभगवान् कहते हैं— मुझ में भक्ति
रखनेवाला मानव मेरे गुणों से सम्पन्न होकर मुक्त हो जाता है । उसकी वृत्ति गुण का
अनुसरण करने लगती है । वह सदा मेरी कथा – वार्ता में लगता है । मेरा गुणानुवाद
सुनने मात्र से वह आनन्द में तन्मय हो उठता है । उसका शरीर पुलकित हो जाता है और
वाणी गद्गद हो जाती है। उसकी आँखों में आँसू भर आते और वह अपनी सुधि-बुधि खो बैठता
है । मेरी पवित्र सेवा में नित्य नियुक्त रहने के कारण सुख,
चार प्रकार की सालोक्यादि मुक्ति,
ब्रह्मा का पद अथवा अमरत्व कुछ भी पाने की अभिलाषा वह नहीं करता । ब्रह्मा,
इन्द्र एवं मनु की उपाधि तथा स्वर्ग के राज्य का सुख - ये सभी परम
दुर्लभ है; किंतु मेरा भक्त स्वप्न में भी इनकी इच्छा नहीं
करता ।
मद्भक्तियुक्तो
मर्त्यश्च स मुक्तो मद्गुणान्वितः ।
मद्गुणाधीनवृत्तिर्यः
कथाविष्टश्च संततम् ॥
मगुणश्रुतिमात्रेण
सानन्दः पुलकान्वितः ।
सगद्गदः
साश्रुनेत्रः स्वात्मविस्मृत एव च ॥
न
वाञ्छति सुखं मुक्तिं सालोक्यादिचतुष्टयम् ।
ब्रह्मत्वममरत्वं
वा तद्वाञ्छा मम सेवने ॥
इन्द्रत्वं
च मनुत्वं च ब्रह्मत्वं च सुदुर्लभम् ।
स्वर्गराज्यादिभोगं
च स्वप्नेऽपि च न वाञ्छति ॥
………..(देवीभागवत, नवम स्कन्ध )
......गीता
प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “परलोक और पुनर्जन्मांक” पुस्तक से (कोड 572)
रविवार, 24 सितंबर 2023
# भक्तराज प्रह्लाद और ध्रुव #
# श्री राम जय राम जय जय राम #
शनिवार, 23 सितंबर 2023
मनन करने योग्य
मंगलवार, 22 अगस्त 2023
सच्चा सुधारक... गोस्वामी तुलसीदास जी (पोस्ट ०२)
सच्चा सुधारक... गोस्वामी तुलसीदास जी (पोस्ट ०१)
जय श्री कृष्ण
बुधवार, 12 जुलाई 2023
भगवत्-प्राप्ति क्यों नहीं होती ? (पोस्ट ०२)
भगवत्-प्राप्ति क्यों नहीं होती ? (पोस्ट ०१)( स्वामी विवेकानन्द )
मंगलवार, 4 जुलाई 2023
पार ब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी (पोस्ट 02)
सोमवार, 3 जुलाई 2023
पार ब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी (पोस्ट 01)
मंगलवार, 27 जून 2023
भगवान् की आवश्यकता का अनुभव करना(पोस्ट १)
सोमवार, 26 जून 2023
मुक्ति और प्रेम (पोस्ट 03)
रविवार, 25 जून 2023
मुक्ति और प्रेम (पोस्ट 02)
शनिवार, 24 जून 2023
मुक्ति और प्रेम (पोस्ट 01)
रविवार, 18 जून 2023
गीता में भगवान् की न्यायकारिता और दयालुता (पोस्ट०५)
शनिवार, 17 जून 2023
गीता में भगवान् की न्यायकारिता और दयालुता (पोस्ट०४)
शुक्रवार, 16 जून 2023
गीता में भगवान् की न्यायकारिता और दयालुता (पोस्ट०३)
श्रीमद्भागवतमहापुराण चतुर्थ स्कन्ध - आठवां अध्याय..(पोस्ट०१)
॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण चतुर्थ स्कन्ध – आठवाँ अध्याय..(पोस्ट०१) ध्रुवका वन-गमन मैत्रेय उवाच - सनकाद्या नारदश्च ऋभुर्...
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सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे | तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नुमः श्रीमद्भागवत अत्यन्त गोपनीय — रहस्यात्मक पुरा...
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हम लोगों को भगवान की चर्चा व संकीर्तन अधिक से अधिक करना चाहिए क्योंकि भगवान् वहीं निवास करते हैं जहाँ उनका संकीर्तन होता है | स्वयं भगवान...
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॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण एकादश स्कन्ध— पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट०२) भक्तिहीन पुरुषों की गति और भगवान् की पूजाविधि ...
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||ॐश्रीपरमात्मने नम:|| प्रश्नोत्तरी (स्वामी श्रीशंकराचार्यरचित ‘मणिरत्नमाला’) वक्तव्य श्रीस्वामी शंकराचार्य जी ...
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|| ॐ नमो भगवते वासुदेवाय || “ सदा सेव्या सदा सेव्या श्रीमद्भागवती कथा | यस्या: श्रवणमात्रेण हरिश्चित्तं समाश्रयेत् ||” श्रीमद्भाग...
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निगमकल्पतरोर्गलितं फलं , शुकमुखादमृतद्रवसंयुतम् | पिबत भागवतं रसमालयं , मुहुरहो रसिका भुवि भावुकाः || महामुनि व्यासदेव के द्वारा न...
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॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध) – तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०५) श्रीकृष्ण के विरह में गोपियो...
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॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – आठवाँ अध्याय..(पोस्ट०२) समुद्रसे अमृतका प्रकट होना और भगवान्...
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☼ श्रीदुर्गादेव्यै नम: ☼ क्षमा-प्रार्थना अपराध सहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया । दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरी ।। 1...
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शिवसंकल्पसूक्त ( कल्याणसूक्त ) [ मनुष्यशरीर में प्रत्येक इन्द्रियका अपना विशिष्ट महत्त्व है , परंतु मनका महत्त्व सर्वोपरि है ; क्यो...