||ॐ श्री परमात्मने नम:।।
एक शिष्य ने गुरु के पास जाकर कहा ‘प्रभो! मुझे भगवत्-प्राप्ति की इच्छा है।’ गुरु एक बार उसके चेहरे की ओर ताक कर तनिक मुस्कुरा दिये, कुछ बोले नहीं। शिष्य रोज रोज जाकर कहने लगा, ‘महाराज! मुझे भगवत्-प्राप्ति का उपाय बतलाना ही पड़ेगा।’ कैसे क्या होता है, इस बातको गुरु जी समझते थे। एक दिन गर्मी के दिनों में गुरुजी अपने शिष्य को साथ लेकर नदी नहाने गये। ज्योंही शिष्य ने नदी में डुबकी लगायी त्योंही गुरुजी ने दौड़कर उसकी गरदन दबा दी। शिष्य बाहर निकलने के लिये खूब ही तलमलाया। थोड़ी देर बाद गुरुजी ने उसे छोड़ दिया, बाहर निकलने पर उससे पूछा कि, ‘बताओ! जब तुम जलके भीतर थे, तब तुम्हारे प्राण सब से अधिक किस बात के लिये छटपटा रहे थे? उसने कहा ‘हवा के अभाव से प्राण निकले जा रहे थे।’ तब गुरुजी ने कहा, भाई! जैसे उस समय तुम हवा बिना छटपटाते थे, क्या भगवान् के बिना ऐसी छटपटाहट तुम्हारे हृदयमें कभी हुई? जब वैसी छटपटाहट होगी, तभी तुम्हें भगवान् मिल जायंगे। जब तक तीव्र पिपासा और तीव्र चाहना नहीं जाग उठती, तब तक चाहे जितना तर्क, विचार, अध्ययन या बाहरी अनुष्ठान किया जाय, उससे कुछ भी लाभ नहीं होता!
शेष आगामी पोस्ट में -----
Jay shree Krishna
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏
जवाब देंहटाएं🌼🍂🌹जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
Jai Jai Shree Radhe Radhe Jai Jai Shree Krishna 🙏🌺💐💗👏🙏
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