बुधवार, 5 जुलाई 2023

मधुराष्टकम्

 

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् | 
हृदयं मधुरं, गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||1||
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्  |
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ||2||
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुर: पाणिर्मधुर: पादौ मधुरौ |
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं  मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||3||
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् |
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||4||
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् |
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||5||
गुंजा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा |
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||6||
गोपी मधुरा लीला मधुरा  युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं 
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||7||
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा  |
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ||8||

(श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है | उनके अधर मधुर हैं,मुख मधुर है,नेत्र मधुर हैं,हास्य मधुर है,हृदय मधुर है और गति भी अतिमधुर है || उनके वचन मधुर हैं,चरित्र मधुर हैं,वस्त्र मधुर हैं, अंगभंगी मधुर है, चाल मधुर है और भ्रमण भी अतिमधुर है; श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है|| उनका गान मधुर है, पान मधुर है,भोजन मधुर है,शयन मधुर है,रूप मधुर है और तिलक भी अतिमधुर है; श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है|| उनका कार्य मधुर है,तैरना मधुर है,हरण मधुर है,रमण मधुर है,उद्गार मधुर है  और शांति भी अति मधुर है; श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है|| उनकी गुंजा मधुर है,माला मधुर है, यमुना मधुर है, उसकी तरंगें मधुर हैं,उसका जल मधुर है और कमल भी अतिमधुर है; श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है|| गोपियाँ मधुर हैं,उनकी लीला मधुर है,उनका संयोग मधुर है,वियोग मधुर है, निरीक्षण मधुर है और शिष्टाचार भी मधुर है; श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है|| गोप मधुर हैं, गौएँ मधुर हैं,लकुटी मधुर है,रचना मधुर है.दलन मधुर है और उसका फल भी अतिमधुर है; श्री मधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है||)

--गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “स्तोत्र रत्नावली” पुस्तक से (पुस्तक कोड  1629)


1 टिप्पणी:

  1. गोविंद गोविंद गोपाल हरे
    जय जय प्रभु दीन दयाल हरे
    🌹🌼🍂जय श्री राधे गोविन्द 🙏🙏

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