मननशील मुनि इन
सबके रूप में श्रीकृष्णपद को ही प्राप्त करता है ।।
........गीता
प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीगर्ग संहिता (विश्वजित् खण्ड- ३३/२२-२३)
इस ब्लॉग का ध्येय, सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति का प्रसार करना तथा सन्तों के दुर्लभ प्रवचनों को जन-जन तक पहुंचाने का है | हम केवल धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर प्रामाणिक जानकारियों को ही प्रकाशित करते हैं। आत्मकल्याण तथा दुर्लभ-सत्संग हेतु हमसे जुड़ें और अपने सभी परिवारजनों और मित्रों को इसके लाभ की बात बताकर सबको जोड़ने का प्रयास करें | भगवान् में लगना और दूसरों को लगाना ‘परम-सेवा’ है | अतः इसका लाभ उठाना चाहिए |
मननशील मुनि इन
सबके रूप में श्रीकृष्णपद को ही प्राप्त करता है ।।
........गीता
प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीगर्ग संहिता (विश्वजित् खण्ड- ३३/२२-२३)
॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०९) विदुरजीका प्रश्न और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन देव...
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे
जवाब देंहटाएंहे नाथ नारायण वासुदेव
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
🌺☘️🌸जय श्री हरि: 🙏🙏