मेरे लिये तो जहाँ तुम हो, वहीं काशी है, वहीं द्वारका है । वहीं मक्का है और वहीं जेरूसलेम है । मुझे ऐसे ही तरण-तारण तीर्थों में ले चलो, मेरे नाथ !
जहाँ भी तुम्हारे प्रेम-रस की विमल धारा बहती हो, वहीं गङ्गा है, वहीं जमुना है और वहीं आबे ज़मज़म है । मुझे ऐसी ही सरस सरिताओं की लहरों पर धीरे-धीरे झुलाते रहो, मेरे हृदय-रमण !
जहाँ कहीं भी तुम्हारी प्यारी झलक देखने को मिलती हो, मेरी नज़र में, वहीं मन्दिर है, वहीं मसज़िद है और वहीं गिरिजा है । मेरा आसन किसी ऐसे उपासना-स्थल में जमा दो, मेरे स्वामी !
(श्रीवियोगी हरिजी)
Jay shree Krishna
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌹🌺🙏
जवाब देंहटाएंJay shri Krishna ji ki 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🏵️🥀🌺जय श्री हरि:🙏🙏
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