सभी को होली के पावन पर्व पर
रंगभरी हार्दिक शुभकामनाएं !!
रंगभरी हार्दिक शुभकामनाएं !!
रंगों का त्योहार –- होली
होली जहाँ एक ओर एक सामाजिक एवं धार्मिक त्योहार है, वहीं यह रंगों का त्योहार भी है | आबाल-वृद्ध, नर-नारी-सभी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं | यह एक देशव्यापी त्योहार भी है | इसमें वर्ण अथवा जातिभेद को कोई स्थान नहीं है | इस अवसर पर लकडियों तथा कंडों आदि का ढेर लगाकर होलिकापूजन किया जाता है फिर उसमें आग लगाई जाती है | पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है –
‘असृक्पाभयसन्त्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै: |
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ||’
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव ||’
इस पर्व को नवान्नेष्टि पर्व भी कहा जाता है | खेत से नवीन अन्न को यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा भी है | उस अन्न को होला कहते हैं | इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा |
होलिकोत्सव मनाने के सम्बन्ध में अनेक मत प्रचलित हैं | यहाँ कुछ प्रमुख मतों का उल्लेख किया गया है –
(१). ऐसी मान्यता है कि पर्व का सम्बन्ध ‘काम दहन’ से है | भगवान् शंकर ने अपनी क्रोधाग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था | तभी से इस त्योहार का प्रचलन हुआ |
(२). फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमापर्यंत आठ दिन होलाष्टक मनाया जाता है | भारत के कई प्रदेशों में होलाष्टक शुरू होने पर एक पेड की शाखा काटकर उसमें रंग बिरंगे कपडों के टुकड़े बांधते हैं | इस शाखा को जमीन में गाड दिया जाता है | सभी लोग इसके नीचे होलिकोत्सव मनाते हैं |
(३).यह त्योहार हिरण्यकशिपु की बहन की स्मृति में भी मनाया जाता है | ऐसा कहा जाता है कि हिरण्यकशिपु की बहन होलिका वरदान के प्रभाव से नित्यप्रति अग्नि-स्नान करती और जलती नहीं थी | हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन से प्रह्लाद को गोद मेंलेकर अग्नि-स्नान के लिए कहा | उसने समझा था कि ऐसा करने से प्रह्लाद जल जायेगी तथा होलिका बच निकलेगी |
हिरण्यकशिपु की बहन ने ऐसा ही किया, होलिका तो जल गयी किन्तु प्रह्लाद बच गए | तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पडी |
हिरण्यकशिपु की बहन ने ऐसा ही किया, होलिका तो जल गयी किन्तु प्रह्लाद बच गए | तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पडी |
(४).इस दिन आम्र-मंजरी तथा चन्दन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है | कहते हैं कि जो लोग फाल्गुन पूर्णिमा के दिन एकाग्र-चित्त से हिंडोले में झूलते हुए श्री गोविन्द पुरुषोत्तम के दर्शन करते हैं, वे निश्चय ही वैकुंठलोक में वास करते हैं |
(५).भविष्यपुराण में कहा गया है कि एक बार नारदजी ने महाराज युधिष्टिर से कहा—राजन् ! फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सब लोगों को अभयदान देना चाहिए, जिससे सम्पूर्ण प्रजा उल्लासपूर्वक हँसे | बालक गाँव के बाहर से लकडी-कंडे लाकर ढेर लगाएं | होलिका का पूर्ण सामग्रीसहित विधिवत् पूजन करें | होलिका दहन करें | इस से सारे अनिष्ट दूर हो जाते हैं |
होली सम्मिलन, मित्रता एवं एकता का पर्व है | इस दिन द्वेषभाव भूलकर सब से प्रेम और भाईचारे से मिलना चाहिए | यही इस पर्व का मूल उद्देश्य एवं सन्देश है |
{कल्याण—व्रतपर्वोत्सव अंक}
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