सोमवार, 11 नवंबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – बाईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०८)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – बाईसवाँ अध्याय..(पोस्ट०८)

बलि के द्वारा भगवान्‌ की स्तुति और
भगवान्‌ का उस पर प्रसन्न होना

श्रीभगवानुवाच -
ब्रह्मन् यमनुगृह्णामि तद्विशो विधुनोम्यहम् ।
यन्मदः पुरुषः स्तब्धो लोकं मां चावमन्यते ॥ २४ ॥
यदा कदाचित् जीवात्मा संसरन्निजकर्मभिः ।
नानायोनिष्वनीशोऽयं पौरुषीं गतिमाव्रजेत् ॥ २५ ॥
जन्मकर्मवयोरूप विद्यैश्वर्यधनादिभिः ।
यद्यस्य न भवेत् स्तंभः तत्रायं मदनुग्रहः ॥ २६ ॥
मानस्तम्भनिमित्तानां जन्मादीनां समन्ततः ।
सर्वश्रेयःप्रतीपानां हन्त मुह्येन्न मत्परः ॥ २७ ॥

श्रीभगवान्‌ ने कहाब्रह्माजी ! मैं जिसपर कृपा करता हूँ, उसका धन छीन लिया करता हूँ । क्योंकि जब मनुष्य धन के मद से मतवाला हो जाता है, तब मेरा और लोगोंका तिरस्कार करने लगता है ॥ २४ ॥ यह जीव अपने कर्मोंके कारण विवश होकर अनेक योनियोंमें भटकता रहता है, जब कभी मेरी बड़ी कृपासे मनुष्यका शरीर प्राप्त करता है ॥ २५ ॥ मनुष्ययोनि में जन्म लेकर यदि कुलीनता, कर्म, अवस्था, रूप, विद्या, ऐश्वर्य और धन आदिके कारण घमंड न हो जाय तो समझना चाहिये कि मेरी बड़ी ही कृपा है ॥ २६ ॥ कुलीनता आदि बहुत-से ऐसे कारण हैं, जो अभिमान और जडता आदि उत्पन्न करके मनुष्यको कल्याणके समस्त साधनोंसे वञ्चित कर देते हैं; परंतु जो मेरे शरणागत होते हैं, वे इनसे मोहित नहीं होते ॥ २७ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से




7 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏

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  2. Prabhu ke adhin sab kuch hai unki maya man budhi se pare hai 🌷🙏🌺

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  3. जाकौं प्रभु दारुण दुख देहि , ताकि मति पहले हर लेहि ..

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  4. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🌺🌹🙏

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  5. 🍂🌼🌹🥀जय श्री हरि: 🙏🙏
    हे भक्त वत्सल करुणामय हे शरणागत वत्सल प्रभु 🙏🙏🙏🙏
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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  6. जय श्री सीताराम

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