शनिवार, 18 जुलाई 2020

श्रीमद्भागवतमहापुराण दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध) – तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

 

श्रीमद्भागवतमहापुराण

दशम स्कन्ध (पूर्वार्ध) तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

 

श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा

 

श्रीशुक उवाच

अन्तर्हिते भगवति सहसैव व्रजाङ्गनाः ।

अतप्यंस्तमचक्षाणाः करिण्य इव यूथपम् ॥ १ ॥

गत्यानुरागस्मितविभ्रमेक्षितै-

र्मनोरमालापविहारविभ्रमैः ।

आक्षिप्तचित्ताः प्रमदा रमापते-

स्तास्ता विचेष्टा जगृहुस्तदात्मिकाः ॥ २ ॥

गतिस्मितप्रेक्षणभाषणादिषु

प्रियाः प्रियस्य प्रतिरूढमूर्तयः ।

असावहं त्वित्यबलास्तदात्मिका

न्यवेदिषुः कृष्णविहारविभ्रमाः ॥ ३ ॥

गायन्त्य उच्चैरमुमेव संहता

विचिक्युरुन्मत्तकवद्वनाद्वनम् ।

पप्रच्छुराकाशवदन्तरं बहि-

र्भूतेषु सन्तं पुरुषं वनस्पतीन् ॥ ४ ॥

 

श्रीशुकदेवजी कहते हैं परीक्षित्‌ ! भगवान्‌ सहसा अन्तर्धान हो गये। उन्हें न देखकर व्रजयुवतियों की वैसी ही दशा हो गयी, जैसे यूथपति गजराज के बिना हथिनियों की होती है। उनका हृदय विरहकी ज्वाला से जलने लगा ॥ १ ॥ भगवान्‌ श्रीकृष्ण की मदोन्मत्त गजराज की-सी चाल, प्रेमभरी मुसकान, विलासभरी चितवन, मनोरम प्रेमालाप, भिन्न-भिन्न प्रकार की लीलाओं तथा शृङ्गार-रस की भाव-भङ्गियोंने उनके चित्तको चुरा लिया था। वे प्रेमकी मतवाली गोपियाँ श्रीकृष्णमय हो गयीं और फिर श्रीकृष्णकी विभिन्न चेष्टाओंका अनुकरण करने लगीं ॥ २ ॥ अपने प्रियतम श्रीकृष्णकी चाल-ढाल, हास-विलास और चितवन-बोलन आदिमें श्रीकृष्णकी प्यारी गोपियाँ उनके समान ही बन गयीं; उनके शरीरमें भी वही गति-मति, वही भाव-भङ्गी उतर आयी। वे अपने को सर्वथा भूलकर श्रीकृष्णस्वरूप हो गयीं और उन्हीं के लीला-विलास का अनुकरण करती हुई मैं श्रीकृष्ण ही हूँ’—इस प्रकार कहने लगीं ॥ ३ ॥ वे सब परस्पर मिलकर ऊँचे स्वरसे उन्हींके गुणोंका गान करने लगीं और मतवाली होकर एक वनसे दूसरे वनमें, एक झाड़ी से दूसरी झाड़ी में जा-जाकर श्रीकृष्ण को ढूँढने लगीं। परीक्षित्‌ ! भगवान्‌ श्रीकृष्ण कहीं दूर थोड़े ही गये थे। वे तो समस्त जड-चेतन पदार्थोंमें तथा उनके बाहर भी आकाश के समान एकरस स्थित ही हैं। वे वहीं थे, उन्हीं में थे, परंतु उन्हें न देखकर गोपियाँ वनस्पतियों सेपेड़-पौधों से उनका पता पूछने लगीं ॥ ४ ॥

 

शेष आगामी पोस्ट में --

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



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