मंगलवार, 28 मार्च 2023

।। ॐ नमश्चण्डिकायै ।।



माँ ! इस पृथ्वीपर तुम्हारे सीधे-सादे पुत्र तो बहुत-से हैं, किंतु  उन सब में मैं ही अत्यन्त चपल तुम्हारा बालक हूँ; मेरे-जैसा चञ्चल  कोई विरला ही होगा ।शिवे ! मेरा जो यह त्याग हुआ है, यह तुम्हारे लिये कदापि उचित नहीं है, क्योंकि संसार में कुपुत्र का होना सम्भव है, किंतु कहीं भी कुमाता नहीं होती ॥

पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः 
परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः |
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे 
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ||


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