सोमवार, 1 मई 2023

देवता कौन ?.... (पोस्ट 14)


प्रश्न‒क्या देवोपासना करनेसे मुक्ति हो सकती है ?

उत्तर‒देवताओंको भगवान्‌का स्वरूप समझकर निष्कामभावसे उपासना करनेसे मुक्ति हो सकती है । मृत्यु-लोकमें भी पुत्र माता-पिताको, पत्नी पतिको ईश्वर मानकर उनकी निष्कामभावसे सेवा करे तो भगवत्प्राप्ति हो सकती है । यदि सम्पूर्ण प्राणियोंमें ईश्वरभाव करके निष्कामभावसे केवल भगवत्प्राप्तिके उद्देश्यसे उनकी सेवा, आदर, पूजन किया जाय तो उससे भी भगवत्प्राप्ति हो सकती है ।[†]

अगर सकामभावसे देवोपासना की जाय तो उससे मुक्ति नहीं होगी । हाँ, देवोपासनासे कामनाओंकी पूर्ति हो जायगी और उसका अधिक-से-अधिक यह फल होगा कि उन देवताओंके लोकोंकी प्राप्ति हो जायगी‒‘यान्ति देवव्रता देवान् (गीता ९ । २५) ।
……………………………………………
[†] “यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम् ।
स्वकर्मणा तमभर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः ॥“
………………(गीता १८ । ४६)

(जिस परमात्मासे सम्पूर्ण प्राणियोंकी उत्पत्ति होती है और जिससे यह सम्पूर्ण संसार व्याप्त है, उस परमात्माका अपने कर्मके द्वारा पूजन करके मनुष्य सिद्धिको प्राप्त हो जाता है)

नारायण ! नारायण !! नारायण !!!

......(गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, श्रद्धेय स्वामी रामसुखदास जी की “कल्याण-पथ “ पुस्तकसे)


1 टिप्पणी:

  1. हरि:शरणम् हरि:शरणम् हरि: शरणम्
    नारायण नारायण नारायण नारायण
    🙏🙏🌸🥀🎋🙏🙏

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