गुरुवार, 22 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध - तीसरा अध्याय..(पोस्ट०८)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--तीसरा अध्याय..(पोस्ट०८)

भगवान्‌ के अवतारों का वर्णन

अवतारा ह्यसङ्ख्येया हरेः सत्त्वनिधेर्द्विजाः ।
यथाविदासिनः कुल्याः सरसः स्युः सहस्रशः ॥ २६ ॥
ऋषयो मनवो देवा मनुपुत्रा महौजसः ।
कलाः सर्वे हरेरेव सप्रजापतयः तथा ॥ २७ ॥
एते चांशकलाः पुंसः कृष्णस्तु भगवान् स्वयम् ।
इन्द्रारिव्याकुलं लोकं मृडयन्ति युगे युगे ॥ २८ ॥
जन्म गुह्यं भगवतो य एतत्प्रयतो नरः ।
सायं प्रातर्गृणन् भक्त्या दुःखग्रामाद् विमुच्यते ॥ २९ ॥

शौनकादि ऋषियो ! जैसे अगाध सरोवर से हजारों छोटे-छोटे नाले निकलते हैं, वैसे ही सत्त्वनिधि भगवान्‌ श्रीहरि के असंख्य अवतार हुआ करते हैं ॥ २६ ॥ ऋषि, मनु, देवता, प्रजापति, मनुपुत्र और जितने भी महान् शक्तिशाली हैं, वे सब-के-सब भगवान्‌ के ही अंश हैं ॥ २७ ॥ ये सब अवतार तो भगवान्‌के अंशावतार अथवा कलावतार हैं, परन्तु भगवान्‌ श्रीकृष्ण तो स्वयं भगवान्‌ (अवतारी) ही हैं। जब लोग दैत्योंके अत्याचारसे व्याकुल हो उठते हैं, तब युग-युगमें अनेक रूप धारण करके भगवान्‌ उनकी रक्षा करते हैं ॥ २८ ॥ भगवान्‌के दिव्य जन्मोंकी यह कथा अत्यन्त गोपनीय—रहस्यमयी है; जो मनुष्य एकाग्र चित्तसे नियमपूर्वक सायंकाल और प्रात:काल प्रेमसे इसका पाठ करता है, वह सब दु:खोंसे छूट जाता है ॥ २९ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से


4 टिप्‍पणियां:

  1. 🌹🍃🌼🥀जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    जय हो मेरे राधा रमण बिहारी

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  2. 🙏🚩🦠🌼🌿हे मैरे पतित पावन 🌿🌸🦠🚩🙏🧎‍♂️

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