रविवार, 10 मार्च 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध - सातवां अध्याय..(पोस्ट..१०)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ 

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--सातवाँ अध्याय..(पोस्ट १०)

अश्वत्थामाद्वारा द्रौपदी के पुत्रोंका मारा जाना और 
अर्जुनके द्वारा अश्वत्थामाका मानमर्दन

सूत उवाच –

अर्जुनः सहसाऽऽज्ञाय हरेर्हार्दमथासिना ।
मणिं जहार मूर्धन्यं द्विजस्य सहमूर्धजम् ॥ ५५ ॥
विमुच्य रशनाबद्धं बालहत्याहतप्रभम् ।
तेजसा मणिना हीनं शिबिरान् निरयापयत् ॥ ५६ ॥
वपनं द्रविणादानं स्थानान् निर्यापणं तथा ।
एष हि ब्रह्मबंधूनां वधो नान्योऽस्ति दैहिकः ॥ ५७ ॥
पुत्रशोकातुराः सर्वे पाण्डवाः सह कृष्णया ।
स्वानां मृतानां यत्कृत्यं चक्रुर्निर्हरणादिकम् ॥ ५८ ॥

सूतजी कहते हैं—अर्जुन भगवान्‌ के हृदयकी बात तुरंत ताड़ गये और उन्होंने अपनी तलवारसे अश्वत्थामा के सिरकी मणि उसके बालों के साथ उतार ली ॥ ५५ ॥ बालकों की हत्या करने से वह श्रीहीन तो पहले ही हो गया था, अब मणि और ब्रह्मतेज से भी रहित हो गया। इसके बाद उन्होंने रस्सी का बन्धन खोलकर उसे शिविरसे निकाल दिया ॥ ५६ ॥ मूँड देना, धन छीन लेना और स्थानसे बाहर निकाल देना—यही ब्राह्मणाधमों का वध है। उनके लिये इससे भिन्न शारीरिक वधका विधान नहीं है ॥ ५७ ॥ पुत्रोंकी मृत्युसे द्रौपदी और पाण्डव सभी शोकातुर हो रहे थे। अब उन्होंने अपने मरे हुए भाई-बन्धुओंकी दाहादि अन्त्येष्टि क्रिया की ॥ ५८ ॥

इति श्रीमद्‌भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां
प्रथमस्कन्धे द्रौणिनिग्रहो नाम सप्तमोऽध्यायः ॥। ७ ॥

हरिः ॐ तत्सत् श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्ट संस्करण)  पुस्तक कोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🍀🕉️🌹☘️जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    हरि:हरये नमः कृष्ण यादवाय नमः
    गोपाल गोविंद राम श्री मधुसूदन

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