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श्रीहरि: #
श्रीगर्ग-संहिता
(
श्रीवृन्दावनखण्ड )
बाईसवाँ अध्याय (पोस्ट 04)
गोपाङ्गनाओंद्वारा श्रीकृष्णका
स्तवन; भगवान् का उनके बीचमें प्रकट होना; उनके पूछनेपर हंसमुनिके
उद्धारकी कथा सुनाना तथा गोपियोंको क्षीरसागर- श्वेतद्वीपके नारायण-स्वरूपोंका दर्शन
कराना
अथ गोपीगणैः सार्धं यमुनामेत्य माधवः ।
कालिन्दीजलवेगेषु जलकेलिं चकार ह ॥ ३१ ॥
राधाकराल्लक्षदलं पद्मं पीताम्बरं तथा ।
धावन् जलेषु गतवान् प्रहसन् माधवः स्वयम् ॥ ३२ ॥
राधा हरेः पीतपटं वशीवेत्रस्फुरत्प्रभम् ।
गृहीत्वा प्रसहन्ती सा गच्छन्ती यमुनाजले ॥ ३३ ॥
वंशीं देहीति वदतः श्रीकृष्णस्य महात्मनः ।
राधा जगाद कमलं वासो देहीति माधव ॥ ३४ ॥
कृष्णो ददौ राधिकायै पद्ममंबरमेव च ।
राधा ददौ पीतपटं वेत्रं वंशीं महात्मने ॥ ३५ ॥
अथ कृष्णः कलं गायन् मालामाजानुलंबिताम् ।
वैजन्तीमादधानः श्रीभाण्डीरं गजाम ह ॥ ३६ ॥
प्रियायास्तत्र शृङ्गारं चकार कुशलेश्वरः ।
पत्रावलीयावकाग्रैः पुष्पैः कंजलकुंकुमैः ॥ ३७ ॥
चंदनागुरुकस्तूरी केसराद्यैर्हरेर्मुखे ।
पत्रं चकार शृङ्गारे मनोज्ञं कीर्तिनन्दिनी ॥ ३८ ॥
तदनन्तर माधव गोपाङ्गनाओंके
साथ यमुना-तटपर आकर कालिन्दीके वेगपूर्ण प्रवाहमें संतरण-कला- केलि करने लगे। श्रीराधाके
हाथसे उनका लक्षदल कमल और चादर लेकर माधव पानीमें दौड़ते तथा हँसते हुए दूर निकल गये।
तब श्रीराधा भी उनके चमकीले पीताम्बर, वंशी और बेंत लेकर हँसती हुई यमुनाजलमें चली
गयीं । अब महात्मा श्रीकृष्ण उन्हें माँगते हुए बोले- 'राधे ! मेरी बाँसुरी दे दो ।'
श्रीराधा कहने लगी- 'माधव ! मेरा कमल और वस्त्र लौटा दो ।' ॥ ३१-३४ ॥
श्रीकृष्ण ने श्रीराधा को कमल और वस्त्र दे दिये । तब श्रीराधा ने भी महात्मा श्रीकृष्णको वंशी, पीताम्बर और बेंत लौटा दिये । तदनन्तर
श्रीकृष्ण आजानु- लुम्बिनी (घुटनेतक लटकती हुई) वैजयन्ती माला धारण किये, मधुर गीत
गाते हुए भाण्डीरवनमें गये । वहाँ चतुर चूडामणि श्यामसुन्दरने प्रियाका शृङ्गार किया
। भाल तथा कपोलोंपर पत्ररचना की, पैरोंमें महावर लगाया, फूलोंकी माला धारण करायी, वेणीको
भी फूलोंसे सजाया, ललाटमें कुङ्कुमकी दी तथा नेत्रोंमें काजल लगाया। इसी प्रकार कीर्तिनन्दिनी
श्रीराधाने भी उस शृङ्गार-स्थलमें चन्दन, अगुरु, कस्तूरी और केसर आदिसे श्रीहरिके मुखपर
मनोहर पत्र- रचना की ।। ३५ - ३८ ॥
इस प्रकार श्रीगर्ग-संहितामें
वृन्दावनखण्डके अन्तर्गत 'रास-क्रीड़ा' नामक बाईसवाँ अध्याय पूरा हुआ ।। २२ ।।
शेष
आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीगर्ग-संहिता पुस्तक कोड 2260 से
जय श्री राधे। जय श्री कृष्णा 🙏🌹
जवाब देंहटाएं🌹🌿🌺🥀जय श्रीकृष्ण🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ श्री परमात्मने नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण श्री राधेकृष्णाभ्याम् नमः