शनिवार, 13 सितंबर 2025

श्रीमद्भागवतमहापुराण चतुर्थ स्कन्ध - पांचवां अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
चतुर्थ स्कन्ध – पाँचवाँ  अध्याय..(पोस्ट०३)

वीरभद्रकृत दक्षयज्ञविध्वंस और दक्षवध

बह्वेवमुद्विग्न दृशोच्यमाने
     जनेन दक्षस्य मुहुर्महात्मनः ।
उत्पेतुरुत्पाततमाः सहस्रशो
     भयावहा दिवि भूमौ च पर्यक् ॥ १२ ॥
तावत्स रुद्रानुचरैर्मखो महान्
     नानायुधैर्वामनकैरुदायुधैः ।
पिङ्‌गैः पिशङ्‌गैर्मकरोदराननैः
     पर्याद्रवद्‌भिः विदुरान्वरुध्यत ॥ १३ ॥
केचिद्बरभञ्जुः प्राग्वंशं पत्नीवशालां तथापरे ।
सद आग्नीध्रशालां च तद्विहारं महानसम् ॥ १४ ॥
रुरुजुर्यज्ञपात्राणि तथैकेऽग्नीननाशयन् ।
कुण्डेष्वमूत्रयन्केचिद् बिभिदुर्वेदिमेखलाः ॥ १५ ॥
अबाधन्त मुनीनन्ये एके पत्नीेरतर्जयन् ।
अपरे जगृहुर्देवान् प्रत्यासन्नान् पलायितान् ॥ १६ ॥
भृगुं बबन्ध मणिमान् वीरभद्रः प्रजापतिम् ।
चण्डेशः पूषणं देवं भगं नन्दीश्वरोऽग्रहीत् ॥ १७ ॥

जो लोग महात्मा दक्षके यज्ञमें बैठे थे, वे भयके कारण एक-दूसरेकी ओर कातर दृष्टिसे निहारते हुए ऐसी ही तरह-तरहकी बातें कर रहे थे कि इतनेमें ही आकाश और पृथ्वीमें सब ओर सहस्रों भयङ्कर उत्पात होने लगे ॥ १२ ॥ विदुरजी ! इसी समय दौडक़र आये हुए रुद्रसेवकों ने उस महान् यज्ञमण्डपको सब ओर से घेर लिया। वे सब तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र लिये हुए थे। उनमें कोई बौने, कोई भूरे रंग के, कोई पीले और कोई मगर के समान पेट और मुखवाले थे ॥ १३ ॥ उनमें से किन्हींने प्राग्वंश (यज्ञशालाके पूर्व और पश्चिमके खंभोंके बीचमें आड़े रखे हुए डंडे) को तोड़ डाला, किन्हींने यज्ञशालाके पश्चिमकी ओर स्थित पत्नीशाला को नष्ट कर दिया, किन्हींने यज्ञशालाके सामनेका सभामण्डप और मण्डप के आगे उत्तरकी ओर स्थित आग्रीध्रशाला को तोड़ दिया, किन्हींने यजमानगृह और पाकशाला को तहस-नहस कर डाला ॥ १४ ॥ किन्हींने यज्ञके पात्र फोड़ दिये, किन्हींने अग्रियोंको बुझा दिया, किन्हींने यज्ञकुण्डों में पेशाब कर दिया और किन्हीं ने वेदी की सीमा के सूत्रोंको तोड़ डाला ॥ १५ ॥ कोई-कोई मुनियों को तंग करने लगे, कोई स्त्रियों को डराने-धमकाने लगे और किन्हींने अपने पास होकर भागते हुए देवताओं को पकड़ लिया ॥ १६ ॥ मणिमान् ने भृगु ऋषिको बाँध लिया, वीरभद्र ने प्रजापति दक्ष को कैद कर लिया तथा चण्डीशने पूषा को और नन्दीश्वर ने भग देवता को पकड़ लिया ॥ १७ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. 🌺🌿🔱 ॐ नमः शिवाय का

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  2. 🌺🌿🔱 ॐ नमः शिवाय 🙏
    ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे
    हे नाथ नारायण वासुदेव: !!
    नारायण नारायण नारायण नारायण

    जवाब देंहटाएं

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