गुरुवार, 14 दिसंबर 2017


॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥

अवगुणोंको छोड़नेसे लाभ होता है, गुणोंको धारण करनेसे लाभ होता है और तात्त्विक बातोंको समझनेसे लाभ होता है । अपनी कमीका पता लगे तो उसका त्याग करना है, कोई अच्छी बात मिले तो उसको ग्रहण करना है, कोई तात्त्विक बात मिले तो उसको ठीक तरहसे समझना है ऐसी लगन लोगोंमें कम दीखती है । जैसे खेतको पहले साफ करते हैं, फिर उसमें बीज डालते हैं तो खेती बढ़िया होती है,  ऐसे ही दुर्गुण-दुराचारका त्याग और सद्‌गुण-सदाचारका ग्रहण करके अन्तःकरण शुद्ध किया जाय,  फिर तात्त्विक बातोंको समझा जाय तो बहुत जल्दी उन्नति होती है । जल्दी और सुगमतासे परमात्माकी प्राप्ति हो जाय ऐसी मेरी एक धुन है । मेरेको ऐसी बातें मिली हैं, जिनसे मनुष्य बहुत जल्दी उन्नति कर सकता है । परमात्माकी प्राप्ति कठिन नहीं है,  खराब आदतको छोड़नेमें कठिनता होती है ।

-        परम श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट०८)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट०८) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन काल...