॥ ॐ श्रीपरमात्मने नमः ॥
अवगुणोंको छोड़नेसे लाभ होता है, गुणोंको धारण करनेसे
लाभ होता है और तात्त्विक बातोंको समझनेसे लाभ होता है । अपनी कमीका पता लगे तो
उसका त्याग करना है, कोई अच्छी बात मिले तो उसको ग्रहण करना
है, कोई तात्त्विक बात मिले तो उसको ठीक तरहसे समझना है ‒
ऐसी लगन लोगोंमें कम दीखती है । जैसे खेतको पहले साफ करते हैं,
फिर उसमें बीज डालते हैं तो खेती बढ़िया होती है, ऐसे ही दुर्गुण-दुराचारका त्याग
और सद्गुण-सदाचारका ग्रहण करके अन्तःकरण शुद्ध किया जाय, फिर तात्त्विक बातोंको समझा जाय तो बहुत जल्दी उन्नति होती है । जल्दी और
सुगमतासे परमात्माकी प्राप्ति हो जाय ‒
ऐसी मेरी एक धुन है । मेरेको ऐसी बातें मिली हैं, जिनसे मनुष्य बहुत जल्दी उन्नति कर सकता है । परमात्माकी प्राप्ति कठिन
नहीं है, खराब आदतको
छोड़नेमें कठिनता होती है ।
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परम श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराज
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