|| ॐ श्री परमात्मने नम: ||
“राम अनंत अनंत गुनानी”
माँ इतनी हितैषिणी होती है कि उसका स्तन काटनेपर भी बालकपर स्नेह रखती है, गुस्सा नहीं करती । वह तो फिर भी दूध पिलाती है । वह उसकी परवाह नहीं करती और अहित नहीं होने देती । इसी तरह भगवान्ने नारदजीके मनकी बात नहीं होने दी तो उन्होंने भगवान्को ही शाप दे दिया । छोटे बालक ही तो ठहरे ! काट गये । फिर भी माँ प्यार करती है और थप्पड़ भी देती है तो प्यारभरे हाथसे देती है । माँ गुस्सा नहीं करती है कि काटता क्यों है ! ऐसे ही पहले नारदजीने शाप तो दे दिया; परंतु फिर पश्चात्ताप करके बोले‒‘प्रभु ! मेरा शाप व्यर्थ हो जाय । मेरी गलती हुई, मुझे माफ कर दो ।’ भगवान्ने कहा‒‘मम इच्छा कह दीनदयाला’‒मेरी ऐसी ही इच्छा थी । भगवान् इस प्रकार कृपा करते हैं ।
पम्पा सरोवरपर भगवान्की वाणी सुनकर नारदजीको लगा कि भगवान् प्रसन्न हैं । अभी मौका है । तब बोले कि ‘मुझे एक वर दीजिये ।’ भगवान् बोले‒‘कहो भाई ! क्या वरदान चाहते हो?’ नारदजीने कहा‒
पम्पा सरोवरपर भगवान्की वाणी सुनकर नारदजीको लगा कि भगवान् प्रसन्न हैं । अभी मौका है । तब बोले कि ‘मुझे एक वर दीजिये ।’ भगवान् बोले‒‘कहो भाई ! क्या वरदान चाहते हो?’ नारदजीने कहा‒
राम सकल नामन्ह ते अधिका ।
होउ नाथ अघ खग गन बधिका ॥
………(मानस, अरण्यकाण्ड, ४२ । ८)
आपका जो नाम है, वह सब नामोंसे अधिक हो जाय और बधिक के समान पापरूपी पक्षियोंका नाश करनेवाला हो जाय । भगवान्के हजारों नाम हैं, उन नामोंकी गणना नहीं की जा सकती । ‘हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता’ (मानस,बालकाण्ड १४० । ५) भगवान् अनन्त हैं, भगवान्की कथा अनन्त है तो भगवान्के नाम सान्त (सीमित) कैसे हो जायँगे ?
होउ नाथ अघ खग गन बधिका ॥
………(मानस, अरण्यकाण्ड, ४२ । ८)
आपका जो नाम है, वह सब नामोंसे अधिक हो जाय और बधिक के समान पापरूपी पक्षियोंका नाश करनेवाला हो जाय । भगवान्के हजारों नाम हैं, उन नामोंकी गणना नहीं की जा सकती । ‘हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता’ (मानस,बालकाण्ड १४० । ५) भगवान् अनन्त हैं, भगवान्की कथा अनन्त है तो भगवान्के नाम सान्त (सीमित) कैसे हो जायँगे ?
राम अनंत अनंत गुनानी ।
जन्म कर्म अनंत नामानी ॥
……………(मानस, उत्तरकाण्ड, दोहा ५२ । ३)
जन्म कर्म अनंत नामानी ॥
……………(मानस, उत्तरकाण्ड, दोहा ५२ । ३)
विष्णुसहस्रनाममें आया है‒
यानि नामानि गौणानि विख्यातानि महात्मनः ।
भगवान्के गुण आदिको लेकर कई नाम आये हैं । उनका जप किया जाय तो भगवान्के गुण, प्रभाव, तत्त्व, लीला आदि याद आयेंगे । भगवान्के नामोंसे भगवान्के चरित्र याद आते हैं । भगवान्के चरित्र अनन्त हैं । उन चरित्रोंको लेकर नाम भी अनन्त होंगे । गुणोंको लेकर जो नाम हैं, वे भी अनन्त होंगे । अनन्त नामोंमें सबसे मुख्य ‘राम’ नाम है । वह खास भगवान्का ‘राम’ नाम हमें मिल गया तो समझना चाहिये कि बहुत बड़ा काम हो गया ।
राम ! राम !! राम !!!
---गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, श्रद्धेय स्वामी रामसुखदास जी की “मानस में नाम-वन्दना” पुस्तकसे
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