“कलिजुग सम जुग आन नहिं जौं नर कर बिस्वास।
गाइ
राम गुन गन बिमल भव तर बिनहिं प्रयास।।“
(यदि
मनुष्य विश्वास करे,
तो कलियुग के समान दूसरा युग नहीं है। क्योंकि इस युगमें
श्रीरामजीके निर्मल गुणोंसमूहों को गा-गाकर मनुष्य बिना ही परिश्रम संसार रूपी
समुद्र से तर जाता है )
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