कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने l
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।
प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।।
हे श्री कृष्ण ! हे वासुदेव ! (वसुदेवके पुत्र) हे हरि ! हे परमात्मन ! हे गोविंद ! आपको नमन है , मेरे सारे क्लेशों का नाश करें, हम आपके शरणागत हैं।।
Obeisance to Lord Krishna, who is the son of Vasudeva, who is Lord hari (destroyer of ignorance), who is the Supreme Divinity . I have taken refuge in Him. May he destroy all the afflictions (miseries) of life.।।
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