||श्री परमात्मने नम: ||
विवेक चूडामणि (पोस्ट.०६)
ज्ञानोपलब्धि का उपाय
सम्यग्विचारत: सिद्धा रज्जुतत्त्वावधारणा |
भ्रान्त्योदितमहासर्पभयदु:खविनाशिनी ||१२||
भ्रान्त्योदितमहासर्पभयदु:खविनाशिनी ||१२||
(भलीभाँति विचार से शुद्ध हुआ रज्जुतत्त्व का निश्चय भ्रम से उत्पन्न हुए महान् सर्पभयरूपी दु:ख को नष्ट करने वाला होता है)
अर्थस्य निश्चयो दृष्टो विचारेण हितोक्तित: |
न स्नानेन न दानेन प्राणायामशतेन वा ||१३||
न स्नानेन न दानेन प्राणायामशतेन वा ||१३||
(कल्याणप्रद उक्तियों द्वारा विचार करने से वस्तु का निश्चय होता देखा जाता है; स्नान, दान अथवा सैंकडों प्राणायामों से नहीं)
नारायण ! नारायण !!
शेष आगामी पोस्ट में
---गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “विवेक चूडामणि”..हिन्दी अनुवाद सहित(कोड-133) पुस्तकसे
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