||श्री परमात्मने नम: ||
विवेक चूडामणि (पोस्ट.०८)
साधन चतुष्टय
साधनान्यत्र चत्वारि कथितानि मनीषिभि: |
येषु सत्स्वेव सन्निष्ठा यदभावे न सिद्धयति ||१८||
येषु सत्स्वेव सन्निष्ठा यदभावे न सिद्धयति ||१८||
(यहाँ मनस्वियों ने जिज्ञासा के चार साधन बताए हैं,उनके होने से ही सत्यस्वरूप आत्मा में स्थिति हो सकती है, उनके बिना नहीं )
आदौ नित्यानित्यवस्तुविवेक: परिगण्यते |
इहामुत्रफलभोगविरागस्तदनन्तरम् ||१९||
शमादिषट्कसम्पत्तिर्मुमुक्षुत्वमिति स्फुटम् |
इहामुत्रफलभोगविरागस्तदनन्तरम् ||१९||
शमादिषट्कसम्पत्तिर्मुमुक्षुत्वमिति स्फुटम् |
( पहला साधन नित्यानित्य-वस्तु-विवेक गिना जाता है, दूसरा लौकिक एवं पारलौकिक सुख-भोग में वैराग्य होना है | तीसरा शम, दम, उपरति,तितिक्षा,श्रद्धा, समाधान –ये छ: सम्पत्तियां हैं , और चौथा मुमुक्षता है)
ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्येत्येवं रूपो विनिश्चय: ||२०||
सोऽयं नित्यानित्यवस्तुविवेक: समुदाहृत: |
सोऽयं नित्यानित्यवस्तुविवेक: समुदाहृत: |
( “ ब्रह्म सत्य है और जगत मिथ्या है ”- ऐसा जो निश्चय है, यही नित्यानित्य-वस्तु-विवेक कहलाता है )
नारायण ! नारायण !!
शेष आगामी पोस्ट में
---गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “विवेक चूडामणि”..हिन्दी अनुवाद सहित(कोड-133) पुस्तकसे
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