॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – पाँचवाँ
अध्याय..(पोस्ट०३)
देवताओं का ब्रह्माजी के पास जाना और
ब्रह्माकृत भगवान् की स्तुति
श्रीशुक उवाच -
यदा युद्धेऽसुरैर्देवा बध्यमानाः शितायुधैः ।
गतासवो निपतिता नोत्तिष्ठेरन् स्म भूरिशः ॥ १५ ॥
यदा दुर्वाससः शापात् सेन्द्रा लोकास्त्रयो नृप ।
निःश्रीकाश्चाभवंस्तत्र नेशुरिज्यादयः क्रियाः ॥ १६ ॥
निशाम्यैतत् सुरगणा महेन्द्रवरुणादयः ।
नाध्यगच्छन्स्वयं मन्त्रैः मंत्रयन्तो विनिश्चितम् ॥ १७ ॥
ततो ब्रह्मसभां जग्मुः मेरोर्मूर्धनि सर्वशः ।
सर्वं विज्ञापयां चक्रुः प्रणताः परमेष्ठिने ॥ १८ ॥
स विलोक्येन्द्रवाय्वादीन् निःसत्त्वान् गगतप्रभान् ।
लोकान् अमंगलप्रायान् असुरानयथा विभुः ॥ १९ ॥
श्रीशुकदेवजी कहते हैं—परीक्षित् ! जिस समयकी यह बात है, उस समय असुरोंने अपने तीखे शस्त्रोंसे देवताओंको पराजित कर दिया था। उस
युद्धमें बहुतोंके तो प्राणोंपर ही बन आयी, वे रणभूमिमें गिरकर फिर उठ न सके ॥ १५ ॥ दुर्वासाके शाप से [*] तीनों लोक और स्वयं इन्द्र भी श्रीहीन हो गये
थे। यहाँतक कि यज्ञयागादि धर्म-कर्मोंका भी लोप हो गया था ॥ १६ ॥ यह सब दुर्दशा
देखकर इन्द्र,
वरुण आदि देवताओंने आपसमें बहुत कुछ सोचा-विचारा; परंतु अपने विचारोंसे वे किसी निश्चयपर नहीं पहुँच सके ॥ १७
॥ तब वे सब-के-सब सुमेरुके शिखरपर स्थित ब्रह्माजीकी सभामें गये और वहाँ उन
लोगोंने बड़ी नम्रता से ब्रह्माजी की सेवामें अपनी परिस्थितिका विस्तृत विवरण
उपस्थित किया ॥ १८ ॥ ब्रह्माजीने स्वयं देखा कि इन्द्र, वायु आदि देवता श्रीहीन एवं शक्तिहीन हो गये हैं। लोगों की
परिस्थिति बड़ी विकट,
संकटग्रस्त हो गयी है और असुर इसके विपरीत फल-फूल रहे हैं ॥
१९ ॥
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[*] यह प्रसङ्ग विष्णुपुराण में इस प्रकार आया है। एक बार
श्रीदुर्वासाजी वैकुण्ठलोक से आ रहे थे। मार्गमें ऐरावतपर चढ़े देवराज इन्द्र
मिले। उन्हें त्रिलोकाधिपति जानकर दुर्वासाजीने भगवान्के प्रसादकी माला दी; किन्तु इन्द्रने ऐश्वर्यके मदसे उसका कुछ भी आदर न कर उसे
ऐरावतके मस्तकपर डाल दिया। ऐरावत ने उसे सूँड़ में लेकर पैरों से कुचल डाला। इससे
दुर्वासाजीने क्रोधित होकर शाप दिया कि तू तीनों लोकोंसहित शीघ्र ही श्रीहीन हो
जायगा।
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जवाब देंहटाएंOm namo bhagawate vasudevay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं🌹💖🌹जय श्री हरि: !!🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जय श्री हरि जय हो प्रभु जय हो
जवाब देंहटाएंOm namo bhagvate vasudevai!
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