मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – दसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – दसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

देवासुर-संग्राम

तेऽन्योन्यमभिसंसृत्य क्षिपन्तो मर्मभिर्मिथः
आह्वयन्तो विशन्तोऽग्रे युयुधुर्द्वन्द्वयोधिनः ॥ २७ ॥
युयोध बलिरिन्द्रे ण तारकेण गुहोऽस्यत
वरुणो हेतिनायुध्यन्मित्रो राजन्प्रहेतिना ॥ २८ ॥
यमस्तु कालनाभेन विश्वकर्मा मयेन वै
शम्बरो युयुधे त्वष्ट्रा सवित्रा तु विरोचनः ॥ २९ ॥
अपराजितेन नमुचिरश्विनौ वृषपर्वणा
सूर्यो बलिसुतैर्देवो बाणज्येष्ठैः शतेन च ॥ ३० ॥
राहुणा च तथा सोमः पुलोम्ना युयुधेऽनिलः
निशुम्भशुम्भयोर्देवी भद्र काली तरस्विनी ॥ ३१ ॥
वृषाकपिस्तु जम्भेन महिषेण विभावसुः
इल्वलः सह वातापिर्ब्रह्मपुत्रैररिन्दम ॥ ३२ ॥
कामदेवेन दुर्मर्ष उत्कलो मातृभिः सह
बृहस्पतिश्चोशनसा नरकेण शनैश्चरः ॥ ३३ ॥
मरुतो निवातकवचैः कालेयैर्वसवोऽमराः
विश्वेदेवास्तु पौलोमै रुद्रा: क्रोधवशैः सह ॥ ३४ ॥

दोनों सेनाएँ आमने-सामने खड़ी हो गयीं। दो-दो की जोडिय़ाँ बनाकर वे लोग लडऩे लगे। कोई आगे बढ़ रहा था, तो कोई नाम ले-लेकर ललकार रहा था। कोई-कोई मर्मभेदी वचनों के द्वारा अपने प्रतिद्वन्द्वीको धिक्कार रहा था ॥ २७ ॥ बलि इन्द्रसे, स्वामिकार्तिक तारकासुर से, वरुण हेतिसे और मित्र प्रहेतिसे भिड़ गये ॥ २८ ॥ यमराज कालनाभसे, विश्वकर्मा मयसे, शम्बरासुर त्वष्टासे तथा सविता विरोचनसे लडऩे लगे ॥ २९ ॥ नमुचि अपराजितसे, अश्विनीकुमार वृषपर्वासे तथा सूर्यदेव बलिके बाण आदि सौ पुत्रोंसे युद्ध करने लगे ॥ ३० ॥ राहुके साथ चन्द्रमा और पुलोमाके साथ वायुका युद्ध हुआ। भद्रकाली देवी निशुम्भ और शुम्भपर झपट पड़ीं ॥ ३१ ॥ परीक्षित्‌ ! जम्भासुरसे महोदवजीकी, महिषासुरसे अग्रिदेवकी और वातापि तथा इल्वलसे ब्रह्माके पुत्र मरीचि आदिकी ठन गयी ॥ ३२ ॥ दुर्मर्षकी कामदेवसे, उत्कलकी मातृगणोंसे, शुक्राचार्यकी बृहस्पतिसे और नरकासुरकी शनैश्चरसे लड़ाई होने लगी ॥ ३३ ॥ निवातकवचोंके साथ मरुदगण, कालेयोंके साथ वसुगण, पौलोमोंके साथ विश्वेदेवगण तथा क्रोधवशोंके साथ रुद्रगणका संग्राम होने लगा ॥ ३४ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से



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