॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – दसवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)
देवासुर-संग्राम
तेऽन्योन्यमभिसंसृत्य क्षिपन्तो मर्मभिर्मिथः
आह्वयन्तो विशन्तोऽग्रे युयुधुर्द्वन्द्वयोधिनः ॥ २७ ॥
युयोध बलिरिन्द्रे ण तारकेण गुहोऽस्यत
वरुणो हेतिनायुध्यन्मित्रो राजन्प्रहेतिना ॥ २८ ॥
यमस्तु कालनाभेन विश्वकर्मा मयेन वै
शम्बरो युयुधे त्वष्ट्रा सवित्रा तु विरोचनः ॥ २९ ॥
अपराजितेन नमुचिरश्विनौ वृषपर्वणा
सूर्यो बलिसुतैर्देवो बाणज्येष्ठैः शतेन च ॥ ३० ॥
राहुणा च तथा सोमः पुलोम्ना युयुधेऽनिलः
निशुम्भशुम्भयोर्देवी भद्र काली तरस्विनी ॥ ३१ ॥
वृषाकपिस्तु जम्भेन महिषेण विभावसुः
इल्वलः सह वातापिर्ब्रह्मपुत्रैररिन्दम ॥ ३२ ॥
कामदेवेन दुर्मर्ष उत्कलो मातृभिः सह
बृहस्पतिश्चोशनसा नरकेण शनैश्चरः ॥ ३३ ॥
मरुतो निवातकवचैः कालेयैर्वसवोऽमराः
विश्वेदेवास्तु पौलोमै रुद्रा: क्रोधवशैः सह ॥ ३४ ॥
दोनों सेनाएँ आमने-सामने खड़ी हो गयीं। दो-दो की जोडिय़ाँ
बनाकर वे लोग लडऩे लगे। कोई आगे बढ़ रहा था, तो कोई नाम ले-लेकर ललकार रहा था। कोई-कोई मर्मभेदी वचनों के द्वारा अपने
प्रतिद्वन्द्वीको धिक्कार रहा था ॥ २७ ॥ बलि इन्द्रसे, स्वामिकार्तिक तारकासुर से, वरुण हेतिसे और मित्र प्रहेतिसे भिड़ गये ॥ २८ ॥ यमराज कालनाभसे, विश्वकर्मा मयसे, शम्बरासुर त्वष्टासे तथा सविता विरोचनसे लडऩे लगे ॥ २९ ॥ नमुचि अपराजितसे, अश्विनीकुमार वृषपर्वासे तथा सूर्यदेव बलिके बाण आदि सौ
पुत्रोंसे युद्ध करने लगे ॥ ३० ॥ राहुके साथ चन्द्रमा और पुलोमाके साथ वायुका
युद्ध हुआ। भद्रकाली देवी निशुम्भ और शुम्भपर झपट पड़ीं ॥ ३१ ॥ परीक्षित् !
जम्भासुरसे महोदवजीकी,
महिषासुरसे अग्रिदेवकी और वातापि तथा इल्वलसे ब्रह्माके
पुत्र मरीचि आदिकी ठन गयी ॥ ३२ ॥ दुर्मर्षकी कामदेवसे, उत्कलकी मातृगणोंसे, शुक्राचार्यकी बृहस्पतिसे और नरकासुरकी शनैश्चरसे लड़ाई होने लगी ॥ ३३ ॥
निवातकवचोंके साथ मरुदगण,
कालेयोंके साथ वसुगण, पौलोमोंके साथ विश्वेदेवगण तथा क्रोधवशोंके साथ रुद्रगणका संग्राम होने लगा ॥
३४ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jay shree Krishna
जवाब देंहटाएंजय सीताराम
जवाब देंहटाएंOm namo bhagawate vasudevay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🙏🙏
जवाब देंहटाएं🌷🌿🌸जय श्री हरि: 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय