शनिवार, 12 अक्तूबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – तेरहवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – तेरहवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)

आगामी सात मन्वन्तरोंका वर्णन

मनुर्विवस्वतः पुत्रः श्राद्धदेव इति श्रुतः
सप्तमो वर्तमानो यस्तदपत्यानि मे शृणु
इक्ष्वाकुर्नभगश्चैव धृष्टः शर्यातिरेव च
नरिष्यन्तोऽथ नाभागः सप्तमो दिष्ट उच्यते
तरूषश्च पृषध्रश्च दशमो वसुमान्स्मृतः
मनोर्वैवस्वतस्यैते दशपुत्राः परन्तप
आदित्या वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणाः
अश्विनावृभवो राजन्निन्द्रस्तेषां पुरन्दरः
कश्यपोऽत्रिर्वसिष्ठश्च विश्वामित्रोऽथ गौतमः
जमदग्निर्भरद्वाज इति सप्तर्षयः स्मृताः
अत्रापि भगवज्जन्म कश्यपाददितेरभूत्
आदित्यानामवरजो विष्णुर्वामनरूपधृक्

श्रीशुकदेवजी कहते हैंपरीक्षित्‌ ! विवस्वान् के पुत्र यशस्वी श्राद्धदेव ही सातवें (वैवस्वत) मनु हैं। यह वर्तमान मन्वन्तर ही उनका कार्यकाल है। उनकी सन्तानका वर्णन मैं करता हूँ ॥ १ ॥ वैवस्वत मनु के दस पुत्र हैंइक्ष्वाकु, नभग, धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, नाभाग, दिष्ट, करूष, पृषध्र और वसुमान ॥ २-३ ॥ परीक्षित्‌ ! इस मन्वन्तरमें आदित्य, वसु, रुद्र, विश्वेदेव, मरुद्गण, अश्विनीकुमार और ऋभुये देवताओंके प्रधान गण हैं और पुरन्दर उनका इन्द्र है ॥ ४ ॥ कश्यप, अत्रि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भरद्वाजये सप्तर्षि हैं ॥ ५ ॥ इस मन्वन्तरमें भी कश्यपकी पत्नी अदितिके गर्भसे आदित्योंके छोटे भाई वामनके रूपमें भगवान्‌ विष्णुने अवतार ग्रहण किया था ॥ ६ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से




5 टिप्‍पणियां:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-पांचवां अध्याय..(पोस्ट१०)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - पाँचवा अध्याय..(पोस्ट१०) विदुरजीका प्रश्न  और मैत्रेयजीका सृष्टिक्रमवर्णन विश...