॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – तेरहवाँ अध्याय..(पोस्ट०१)
आगामी सात मन्वन्तरोंका वर्णन
मनुर्विवस्वतः
पुत्रः श्राद्धदेव इति श्रुतः
सप्तमो
वर्तमानो यस्तदपत्यानि मे शृणु ॥ १ ॥
इक्ष्वाकुर्नभगश्चैव
धृष्टः शर्यातिरेव च
नरिष्यन्तोऽथ
नाभागः सप्तमो दिष्ट उच्यते ॥ २ ॥
तरूषश्च
पृषध्रश्च दशमो वसुमान्स्मृतः
मनोर्वैवस्वतस्यैते
दशपुत्राः परन्तप ॥ ३ ॥
आदित्या
वसवो रुद्रा विश्वेदेवा मरुद्गणाः
अश्विनावृभवो
राजन्निन्द्रस्तेषां पुरन्दरः ॥ ४ ॥
कश्यपोऽत्रिर्वसिष्ठश्च
विश्वामित्रोऽथ गौतमः
जमदग्निर्भरद्वाज
इति सप्तर्षयः स्मृताः ॥ ५ ॥
अत्रापि
भगवज्जन्म कश्यपाददितेरभूत्
आदित्यानामवरजो
विष्णुर्वामनरूपधृक् ॥ ६ ॥
श्रीशुकदेवजी कहते हैं—परीक्षित् ! विवस्वान् के पुत्र यशस्वी श्राद्धदेव ही सातवें (वैवस्वत) मनु
हैं। यह वर्तमान मन्वन्तर ही उनका कार्यकाल है। उनकी सन्तानका वर्णन मैं करता हूँ
॥ १ ॥ वैवस्वत मनु के दस पुत्र हैं—इक्ष्वाकु,
नभग,
धृष्ट, शर्याति, नरिष्यन्त, नाभाग, दिष्ट, करूष, पृषध्र और वसुमान ॥ २-३ ॥ परीक्षित् ! इस मन्वन्तरमें
आदित्य,
वसु,
रुद्र, विश्वेदेव, मरुद्गण, अश्विनीकुमार
और ऋभु—ये देवताओंके प्रधान गण हैं और पुरन्दर उनका इन्द्र है ॥ ४
॥ कश्यप,
अत्रि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम,
जमदग्नि और भरद्वाज—ये सप्तर्षि हैं ॥ ५ ॥ इस मन्वन्तरमें भी कश्यपकी पत्नी अदितिके गर्भसे
आदित्योंके छोटे भाई वामनके रूपमें भगवान् विष्णुने अवतार ग्रहण किया था ॥ ६ ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jai shree Hari
जवाब देंहटाएंजय श्री सीताराम
जवाब देंहटाएंOm namo narayanay 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंJay shree Krishna
जवाब देंहटाएं🌹🥀🌼जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय