रविवार, 13 अक्टूबर 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण अष्टम स्कन्ध – तेरहवाँ अध्याय..(पोस्ट०२)


॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – तेरहवाँ अध्याय..(पोस्ट०२)

आगामी सात मन्वन्तरोंका वर्णन

सङ्क्षेपतो मयोक्तानि सप्तमन्वन्तराणि ते
भविष्याण्यथ वक्ष्यामि विष्णोः शक्त्यान्वितानि च
विवस्वतश्च द्वे जाये विश्वकर्मसुते उभे
संज्ञा छाया च राजेन्द्र ये प्रागभिहिते तव
तृतीयां वडवामेके तासां संज्ञासुतास्त्रयः
यमो यमी श्राद्धदेवश्छायायाश्च सुताञ्छृणु
सावर्णिस्तपती कन्या भार्या संवरणस्य या
शनैश्चरस्तृतीयोऽभूदश्विनौ वडवात्मजौ १०
अष्टमेऽन्तर आयाते सावर्णिर्भविता मनुः
निर्मोकविरजस्काद्याः सावर्णितनया नृप ११
तत्र देवाः सुतपसो विरजा अमृतप्रभाः
तेषां विरोचनसुतो बलिरिन्द्रो भविष्यति १२

परीक्षित्‌ ! इस प्रकार मैंने संक्षेपसे तुम्हें सात मन्वन्तरोंका वर्णन सुनाया; अब भगवान्‌की शक्तिसे युक्त अगले (आनेवाले) सात मन्वन्तरोंका वर्णन करता हूँ ॥ ७ ॥
परीक्षित्‌ ! यह तो मैं तुम्हें पहले (छठे स्कन्धमें) बता चुका हूँ कि विवस्वान् (भगवान्‌ सूर्य) की दो पत्नियाँ थींसंज्ञा और छाया। ये दोनों ही विश्वकर्माकी पुत्री थीं ॥ ८ ॥ कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि उनकी एक तीसरी पत्नी बडवा भी थी। (मेरे विचारसे तो संज्ञाका ही नाम बडवा हो गया था।) उन सूर्यपत्नियोंमें संज्ञासे तीन सन्तानें हुर्ईंयम, यमी और श्राद्धदेव। छायाके भी तीन सन्तानें हुर्ईंसावर्णि, शनैश्चर और तपती नामकी कन्या, जो संवरणकी पत्नी हुई। जब संज्ञाने बडवाका रूप धारण कर लिया, तब उससे दोनों अश्विनीकुमार हुए ॥ ९-१० ॥ आठवें मन्वन्तरमें सावर्णि मनु होंगे। उनके पुत्र होंगे निर्मोक, विरजस्क आदि ॥ ११ ॥ परीक्षित्‌ ! उस समय सुतपा, विरजा और अमृतप्रभ नामक देवगण होंगे। इन देवताओंके इन्द्र होंगे विरोचनके पुत्र बलि ॥ १२ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से





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