॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
श्रीमद्भागवतमहापुराण
अष्टम स्कन्ध – सोलहवाँ अध्याय..(पोस्ट०८)
कश्यपजी के द्वारा अदिति को पयोव्रत का उपदेश
एतत् पयोव्रतं नाम पुरुषाराधनं परम् ।
पितामहेनाभिहितं मया ते समुदाहृतम् ॥ ५८ ॥
त्वं चानेन महाभागे सम्यक् चीर्णेन केशवम् ।
आत्मना शुद्धभावेन नियतात्मा भजाव्ययम् ॥ ५९ ॥
अयं वै सर्वयज्ञाख्यः सर्वव्रतमिति स्मृतम् ।
तपःसारं इदं भद्रे दानं च ईश्वरतर्पणम् ॥ ६० ॥
ते एव नियमाः साक्षात् ते एव च यमोत्तमाः ।
तपो दानं व्रतं यज्ञो येन तुष्यति अधोक्षजः ॥ ६१ ॥
तस्मात् एतद्व्रतं भद्रे प्रयता श्रद्धयाचर ।
भगवान् परितुष्टस्ते वरानाशु विधास्यति ॥ ६२ ॥
(कश्यपजी अदिति से कहरहे हैं) प्रिये ! यह भगवान् की
श्रेष्ठ आराधना है। इसका नाम है ‘पयोव्रत’। ब्रह्माजीने मुझे जैसा बताया था, वैसा ही मैंने तुम्हें बता दिया ॥ ५८ ॥ देवि ! तुम भाग्यवती
हो। अपनी इन्द्रियोंको वशमें करके शुद्ध भाव एवं श्रद्धापूर्ण चित्तसे इस व्रतका
भलीभाँति अनुष्ठान करो और इसके द्वारा अविनाशी भगवान्की आराधना करो ॥ ५९ ॥
कल्याणी ! यह व्रत भगवान्को सन्तुष्ट करनेवाला है, इसलिये इसका नाम है ‘सर्वयज्ञ’ और ‘सर्वव्रत’। यह समस्त
तपस्याओंका सार और मुख्य दान है ॥ ६० ॥ जिनसे भगवान् प्रसन्न हों—वे ही सच्चे नियम हैं, वे ही उत्तम यम हैं,
वे ही वास्तवमें तपस्या, दान,
व्रत और यज्ञ हैं ॥ ६१ ॥ इसलिये देवि ! संयम और श्रद्धासे
तुम इस व्रतका अनुष्ठान करो। भगवान् शीघ्र ही तुमपर प्रसन्न होंगे और तुम्हारी
अभिलाषा पूर्ण करेंगे ॥ ६२ ॥
इति श्रीमद्भागवते महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां
अष्टमस्कन्धे अदिति पयोव्रतकथनं नाम षोडशोऽध्यायः ॥ १६ ॥
हरिः ॐ तत्सत् श्रीकृष्णार्पणमस्तु ॥
शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण (विशिष्टसंस्करण) पुस्तककोड 1535 से
Jay shree Krishna
जवाब देंहटाएंजय श्री सीताराम जय हो प्रभु जय हो
जवाब देंहटाएंJay shree Ki rißhna
जवाब देंहटाएं🌸🍂💐जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ नमो भगवते वासुदेवाय
नारायण नारायण नारायण नारायण
राम राम ।
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