मनुस्मृति में भी पुनर्जन्म के प्रतिपादक अनेकों वचन मिलते हैं। उनमें से कुछ
चुने हुए वचन नीचे उद्धृत किये जाते हैं। किन-किन कर्मों से जीव किन-किन योनियों को
प्राप्त होते हैं, इस विषय में
भगवान् मनु कहते हैं-
देवत्वं सात्त्विका यान्ति मनुष्यत्वं च राजसाः।
तिर्यक्त्वं तामसा नित्यमित्येषा त्रिविधा गतिः ॥
...(१२ । ४०)
अर्थात्
‘सत्त्वगुणी लोग देवयोनि को, रजोगुणी मनुष्ययोनि को और तमोगुणी तिर्यग्योनि को प्राप्त
होते हैं। जीवों की सदा यही तीन प्रकार की गति होती है।
इन्द्रियाणां प्रसंगेन धर्मस्यासेवनेन च।
पापा संयान्ति संसारानविद्वांसो नराधमाः॥
...(१२। ५२)
‘जो लोग इन्द्रियों को तृप्त करने में ही लगे रहते हैं। तथा
धर्माचरण से विमुख रहते हैं, उनके विषय में भगवान् मनु कहते हैं कि वे मूर्ख और नीच मनुष्य मरने पर निन्दित
गति को पाते हैं।'
इसके आगे भगवान् मनु ब्रह्महत्या, सुरापान,
गुरुपत्नीगमन आदि कुछ महापातकों का उल्लेख करते हुए कहते
हैं कि इन पापों को करने वाले अनेक वर्ष तक नरक भोगकर फिर नीच योनियों को प्राप्त
होते हैं। उदाहरणतः ब्रह्महत्या करनेवाला कुत्ते, सूअर, गदहे,
चाण्डाल आदि योनियों को प्राप्त होता है;
ब्राह्मण होकर मदिरापान करनेवाला कृमि-कीट-पतंगादि तथा
हिंसक योनियों में जन्म लेता है; गुरुपत्नीगामी तृण, गुल्म, लता आदि स्थावर
योनियों में सैकड़ों बार जन्म ग्रहण करता है तथा अभक्ष्य का भक्षण करने वाला कृमि
होता हैं | (देखिये मनुस्मृति १२|५४-५६,५८,५९) |
इस प्रकार परलोक एवं पुनर्जन्म के प्रतिपादक
अनेकों प्रमाण शास्त्रों में भरे पड़े हैं | उनको कहाँ तक लिखा जाए |
शेष आगामी पोस्ट में
......गीता प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “परलोक और पुनर्जन्म (एवं वैराग्य)“ पुस्तक
से
# लोक परलोक
# परलोक
जय जय श्री राम
जवाब देंहटाएंजय सियाराम
जवाब देंहटाएं🌷🎋🌼 जय श्री हरि: !!🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंनारायण नारायण नारायण नारायण