।। जय श्री राम ।।
दुनिया के लिये रोने में और भगवान् के लिये रोने में बड़ा फर्क है । दुनिया के लिये रोते हैं तो आँसू गर्म होते हैं और भगवान् के लिये रोते हैं तो आँसू ठण्डे होते हैं । संसारके लिये रोनेवाले के हृदय में जलन होती है और भगवान् के लिये रोनेवाले के हृदय में ठण्डक होती है । भगवान् के लिये रोना भी बड़ा मीठा होता है ! संसार की तरफ चलने में ही दुःख है । भगवान् की तरफ चलने में सुख-ही-सुख है । भगवान् मिलें तो भी सुख, न मिलें तो भी सुख !
जैसे भगवान् को हनुमान जी बहुत प्यारे हैं, ऐसे ही कलियुग में भजन करनेवाला भगवान् को बहुत प्यारा है ।
.......गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित ‘बिन्दु में सिन्धु’ पुस्तक से
हे नाथ! हे मेरे नाथ!! मैं आपको भूलें नहीं!!!
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