प्रश्न‒भूत, प्रेत, पिशाच आदि को भी देवयोनि क्यों कहा गया है ? जैसे‒‘विद्याधराप्सरोयक्षरक्षोगन्धर्व- किन्नराः । पिशाचो गुह्यकः सिद्धो भूतोऽमी देवयोनयः ॥’ (अमरकोष १ । १ । ११)
उत्तर‒हमलोगों के शरीरों की अपेक्षा उनका शरीर दिव्य होने से उन को भी देव योनि कहा गया है । उनका शरीर वायुतत्त्वप्रधान होता है । जैसे वायु कहीं भी नहीं अटकती,ऐसे ही उनका शरीर कहीं भी नहीं अटकता । उनके शरीर में वायु से भी अधिक विलक्षणता होती है । घर के किवाड़ बंद करने पर वायु तो भीतर नहीं आती, पर भूत-प्रेत भीतर आ सकते हैं । तात्पर्य है कि पृथ्वीतत्त्वप्रधान मनुष्यशरीर की अपेक्षा ही भूत-प्रेत आदि को देवयोनि कहा गया है ।
(शेष आगामी पोस्ट में )
श्रीहरि
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