गुरुवार, 20 अप्रैल 2023

देवता कौन ?....(पोस्ट 03)


प्रश्न‒जीवों को अधिष्ठातृ देवता कौन बनाता है ?

उत्तर‒भगवान्‌ ने ब्रह्माजी को सृष्टि-रचनाका अधिकार दिया है, अतः ब्रह्माजी के बनाये हुए नियमके अनुसार अधिष्ठातृ देवता स्वतः बनते रहते हैं । जैसे यहाँ किसी को किसी पद पर नियुक्त करते हैं तो उसको उस पद के अनुसार सीमित अधिकार दिया जाता है, ऐसे ही पुण्यों के फलस्वरूप जो जीव अधिष्ठातृ देवता बनते हैं, उनको उस विषयमें सीमित अधिकार मिलता है ।

प्रश्न‒ये अधिष्ठातृ देवता क्या काम करते हैं ?

उत्तर‒ये अपने अधीन वस्तु की रक्षा करते हैं । जैसे,कुएँ का भी अधिष्ठातृ देवता होता है । यदि कुआँ चलाने से पहले उसके अधिष्ठातृ देवता का पूजन किया जाय, उसको प्रणाम किया जाय अथवा उसका नाम लिया जाय तो वह कुएँ की विशेष रक्षा करता है, कुएँ के कारण कोई नुकसान नहीं होने देता । ऐसे ही वृक्ष आदि का भी अधिष्ठातृदेवता होता है । रात्रि में किसी वृक्ष के नीचे रहना पड़े तो उसके अधिष्ठातृ देवता से प्रार्थना करें कि ‘हे वृक्षदेवता ! मैं आपकी शरण में हूँ, आप मेरी रक्षा करें’ तो रात्रिमें रक्षा होती है ।

जंगलमें शौच जाना हो तो वहाँ पर ‘उत्तम भूमि मध्यम काया, उठो देव मैं जंगल आया’‒ऐसा बोलकर शौच जाना चाहिये, नहीं तो वहाँ रहनेवाले देवता तथा भूत-प्रेत कुपित होकर हमारा अनिष्ट कर सकते हैं ।

वर्तमान में अधिष्ठातृदेवताओं का पूजन उठ जाने से जगह-जगह तरह-तरह के उपद्रव हो रहे हैं ।

(शेष आगामी पोस्ट में )
---गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, श्रद्धेय स्वामी रामसुखदास जी की “कल्याण-पथ “ पुस्तकसे


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