गुरुवार, 27 जुलाई 2023

नारद गीता दूसरा अध्याय (पोस्ट 03)

 



 

शुकदेव को नारदजी का सदाचार और अध्यात्मविषयक उपदेश

 

अनित्यं यौवनं रूपं जीवितं द्रव्यसञ्चयः ।

आरोग्यं प्रियसंवासो गृध्येत् तत्र न पण्डितः ॥ १४ ॥

 

रूप, यौवन, जीवन, धन-संग्रह, आरोग्य तथा प्रियजनोंका सहवास—ये सब अनित्य हैं। विद्वान् पुरुषको इनमें आसक्त नहीं होना चाहिये ॥ १४ ॥

 

न जानपदिकं दुःखमेकः शोचितुमर्हति ।

अशोचन् प्रतिकुर्वीत यदि पश्येदुपक्रमम् ॥ १५ ॥

 

सारे देशपर आये हुए संकट के लिये किसी एक व्यक्ति को शोक करना उचित नहीं है। यदि उस संकट को टालने का कोई उपाय दिखलायी दे तो शोक छोड़कर उसे ही करना चाहिये ॥ १५ ॥

 

सुखाद् बहुतरं दुःखं जीविते नात्र संशयः ।

स्निग्धत्वं चेन्द्रियार्थेषु मोहान्मरणमप्रियम् ॥ १६ ॥

 

इसमें संदेह नहीं कि जीवनमें सुखकी अपेक्षा दुःख ही अधिक होता है। किंतु सभीको मोहवश विषयोंके प्रति अनुराग होता है और मृत्यु अप्रिय लगती है ॥ १६ ॥

 

परित्यजति यो दुःखं सुखं वाप्युभयं नरः ।

अभ्येति ब्रह्म सोऽत्यन्तं न तं शोचन्ति पण्डिताः ॥ १७ ॥

 

जो मनुष्य सुख और दुःख दोनोंकी ही चिन्ता छोड़ देता है, वह अक्षय ब्रह्मको प्राप्त हो जाता है । विद्वान् पुरुष उसके लिये शोक नहीं करते हैं ॥१७॥

 

त्यज्यन्ते दुःखमर्था हि पालने न च ते सुखाः ।

दुःखेन चाधिगम्यन्ते नाशमेषां न चिन्तयेत् ॥ १८ ॥

 

धन खर्च करते समय बड़ा दुःख होता है। उसकी रक्षामें भी सुख नहीं है और उसकी प्राप्ति भी बड़े कष्टसे होती है, अतः धनको प्रत्येक अवस्थामें दु:खदायक समझकर उसके नष्ट होनेपर चिन्ता नहीं करनी चाहिये ॥ १८ ॥

 

अन्यामन्यां धनावस्थां प्राप्य वैशेषिकीं नराः ।

अतृप्ता यान्ति विध्वंसं सन्तोषं यान्ति पण्डिताः ॥ १९ ॥

 

मनुष्य धन का संग्रह करते-करते पहले की अपेक्षा ऊँची धन- सम्पन्न स्थिति को प्राप्त होकर भी कभी तृप्त नहीं होते । वे और अधिक की आशा लिये हुए ही मर जाते है; किंतु विद्वान् पुरुष सदा सन्तुष्ट रहते हैं (वे धनकी तृष्णा में नहीं पड़ते) ॥ १९ ॥

 

......शेष आगामी पोस्ट में

गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गीता-संग्रह पुस्तक (कोड 1958) से



3 टिप्‍पणियां:

  1. 🌺🌿🌸जय श्री हरि: 🙏🙏
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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  2. 🪻💟🥀🪻जय श्रीहरि:🙏🏼🙏🏼
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    हरि:शरणम् हरि:शरणम्
    हरि:शरणम् 🙏🏼🌷
    नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण

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