ऋग्वेद में आया है—
अति
द्रव सारमेयौ श्वानौ चतुरक्षौ शबलौ साधुना पथा ।
अथपितृन्त्सुविदत्राँ
उपेहि यमेन ये सधमादं मदन्ति ||
( ऋग्वेद-सं० १० । १४ ।
१० }
हे अग्निदेव ! प्रेतों के बाधक यमराज के
दोनों कुत्तों का उल्लङ्घन करके इस प्रेत को ले जाइये और ले जा करके यम के साथ जो
पितर प्रसन्नतापूर्वक विहार कर रहे हैं, उन अच्छे
ज्ञानी पितरों के पास पहुँचा दीजिये; क्योंकि ये दोनों
कुत्ते देवसुनी शर्माके लड़के हैं और इनकी दो नीचे और दो ऊपर चार आँखें हैं ।
यौ ते श्वानं यम रक्षितारौ चतुरक्षौ
पथिरक्षी नृचक्षसौ ।
ताभ्यामेनं परि देहि राजन्त्स्वस्ति चास्मा
अनमीत्रं च धेहि ॥
(ऋग्वेदसं० १० । १४ ।
११ )
हे राजन् ! यस आपके घर की रखवाली
करनेवाले आपके मार्ग की रक्षा करने वाले श्रुति-स्मृति-पुराणों के विद्वानों द्वारा
ख्यापित चार आँखवाले अपने कुत्तों से इसकी रक्षा कीजिये तथा इसे नीरोग बनाइये |
उरुणसावसुतृपा
उदुम्बलौ यमस्य दूतौ चरतो जनाँ अनु ।
तावस्मभ्यं
दृशये सूर्याय पुनर्दातामसुमद्येह भद्रम् ॥
(ऋग्वेद-सं० १० । १४ । १२ )
यम के दूत दोनों कुत्ते लोगों को
देखते हुए सर्वत्र घूमते हैं | बहुत दूर से सूंघकर
पता लगा लेते हैं और दूसरे प्राण से तृप्त होते हैं, बड़े
बलवान् है । वे दोनों दूत सूर्य के दर्शन के लिये हमें शक्ति दें ।
......गीता प्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “परलोक और पुनर्जन्मांक” पुस्तक से (कोड 572)
Jay shree Krishna
जवाब देंहटाएं🌷🥀🍂जय श्री हरि: 🙏🙏
जवाब देंहटाएंॐ श्री परमात्मने नमः