रविवार, 17 मार्च 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण प्रथम स्कन्ध - आठवां अध्याय..(पोस्ट..०८)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ 

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
प्रथम स्कन्ध--आठवाँ अध्याय..(पोस्ट ०८)

गर्भ में परीक्षित्‌ की रक्षा, कुन्ती के द्वारा भगवान्‌ की स्तुति और युधिष्ठिर का शोक

गोप्याददे त्वयि कृतागसि दाम तावद्
     या ते दशाश्रुकलिल अञ्जन संभ्रमाक्षम् ।
वक्त्रं निनीय भयभावनया स्थितस्य
     सा मां विमोहयति भीरपि यद्‌बिभेति ॥ ३१ ॥

जब बचपनमें आपने दूधकी मटकी फोडक़र यशोदा मैयाको खिझा दिया था और उन्होंने आपको बाँधनेके लिये हाथमें रस्सी ली थी, तब आपकी आँखोंमें आँसू छलक आये थे, काजल कपोलोंपर बह चला था, नेत्र चञ्चल हो रहे थे और भयकी भावनासे आपने अपने मुखको नीचेकी ओर झुका लिया था ! आपकी उस दशाका—लीला-छबिका ध्यान करके मैं मोहित हो जाती हूँ। भला, जिससे भय भी भय मानता है, उसकी यह दशा ! ॥ ३१ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्ट संस्करण)  पुस्तक कोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌸🍃🥀🚩जय श्री हरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    जय हो बाल मुकुंद कृष्ण

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