सोमवार, 2 सितंबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण द्वितीय स्कन्ध-सातवां अध्याय..(पोस्ट१३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
द्वितीय स्कन्ध- सातवाँ अध्याय..(पोस्ट१३)

भगवान्‌ के लीलावतारों की कथा

यर्ह्यालयेष्वपि सतां न हरेः कथाः स्युः ।
    पाषण्डिनो द्विजजना वृषला नृदेवाः ।
स्वाहा स्वधा वषडिति स्म गिरो न यत्र ।
    शास्ता भविष्यति कलेर्भगवान् युगान्ते ॥ ३८ ॥
सर्गे तपोऽहमृषयो नव ये प्रजेशाः ।
    स्थाने च धर्ममखमन्वमरावनीशाः ।
अन्ते त्वधर्महरमन्युवशासुराद्या ।
    मायाविभूतय इमाः पुरुशक्तिभाजः ॥ ३९ ॥

कलियुग के अन्त में जब सत्पुरुषों के घर भी भगवान्‌ की कथा होने में बाधा पडऩे लगेगी; ब्राह्मण,क्षत्रिय तथा वैश्य पाखण्डी और शूद्र राजा हो जायँगे, यहाँ तक कि कहीं भी ‘स्वाहा’, ‘स्वधा’ और ‘वषट्कार’ की ध्वनि—देवता-पितरों के यज्ञ-श्राद्ध की बात तक नहीं सुनायी पड़ेगी, तब कलियुग का शासन करने के लिये भगवान्‌ कल्कि अवतार ग्रहण करेंगे ॥ ३८ ॥
जब संसार की रचना का समय होता है, तब तपस्या, नौ प्रजापति, मरीचि आदि ऋषि और मेरे रूपमें; जब सृष्टि की रक्षाका समय होता है, तब धर्म, विष्णु, मनु, देवता और राजाओंके रूपमें, तथा जब सृष्टिके प्रलयका समय होता है, तब अधर्म, रुद्र तथा क्रोधवश नाम के सर्प एवं दैत्य आदिके रूपमें सर्वशक्तिमान् भगवान्‌ की माया-विभूतियाँ ही प्रकट होती हैं ॥ ३९ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


1 टिप्पणी:

  1. 🌼🌿🌷🌷जय श्रीहरि:🙏🙏
    ॐ श्री परमात्मने नमः
    ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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