गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध-दूसरा अध्याय..(पोस्ट०८)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण 
तृतीय स्कन्ध - दूसरा अध्याय..(पोस्ट०८)

उद्धवजी द्वारा भगवान्‌ की बाललीलाओं का वर्णन

कौमारीं दर्शयन् चेष्टां प्रेक्षणीयां व्रजौकसाम् ।
रुदन्निव हसन्मुग्ध बालसिंहावलोकनः ॥ २८ ॥
स एव गोधनं लक्ष्म्या निकेतं सितगोवृषम् ।
चारयन् ननुगान् गोपान् रणद् वेणुररीरमत् ॥ २९ ॥
प्रयुक्तान् भोजराजेन मायिनः कामरूपिणः ।
लीलया व्यनुदत्तान् तान् बालः क्रीडनकानिव ॥ ३० ॥
विपन्नान् विषपानेन निगृह्य भुजगाधिपम् ।
उत्थाप्यापाययद् गावः तत्तोयं प्रकृतिस्थितम् ॥ ३१ ॥

वे व्रजवासियोंकी दृष्टि आकृष्ट करनेके लिये अनेकों बाल-लीला उन्हें दिखाते थे। कभी रोने-से लगते, कभी हँसते और कभी सिंह-शावकके समान मुग्ध दृष्टिसे देखते ॥ २८ ॥ फिर कुछ बड़े होनेपर वे सफेद बैल और रंग-बिरंगी शोभाकी मूर्ति गौओंको चराते हुए अपने साथी गोपोंको बाँसुरी बजा- बजाकर रिझाने लगे ॥ २९ ॥ इसी समय जब कंसने उन्हें मारनेके लिये बहुत-से मायावी और मनमाना रूप धारण करनेवाले राक्षस भेजे, तब उनको खेल-ही-खेलमें भगवान्‌ने मार डाला—जैसे बालक खिलौनोंको तोड़-फोड़ डालता है ॥ ३० ॥ कालियनाग का दमन करके विष मिला हुआ जल पीनेसे मरे हुए ग्वालबालों और गौओंको जीवितकर उन्हें कालियदह का निर्दोष जल पीनेकी सुविधा कर दी ॥ ३१ ॥ 

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से


2 टिप्‍पणियां:

  1. गीताप्रेस के द्वारा प्रकाशित प्रतिदिन छोटी छोटी बातें जो प्रत्येक सनातनी को जोड़ती है, परम आनंददायी एवं शिक्षा से ओतप्रोत हैं। मैं प्रतिदिन इनके सानिंध्य का लाभ लेने के लिए आतुर रहता हूँ। ऐसे ही आप लोगों को लाभान्वित कराते रहें।

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  2. 🌹💖🥀ॐ श्रीपरमात्मने नमः
    कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने
    प्रणतक्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः 🙏🙏
    नारायण नारायण नारायण नारायण

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