जय सियाराम जय जय सियाराम ! जय
सियाराम जय जय सियाराम!!
“अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता अस वर दीन्ह जानकी माता
“
संसार में ऐसा कौन है, जो
पराक्रम, उत्साह, बुद्धि, प्रताप, सुशीलता, मधुरता,
नीति-अनीति के विवेक, गंभीरता, चतुरता, उत्तम बल और धैर्य में श्रीहनुमान जी से
बढ़कर हो |
“ पराक्रमोत्साहमतिप्रताप-
सौशील्यमाधुर्यनयानायैश्च |
गाम्भीर्यचातुर्यसुवीर्यधैर्यै-
र्हनूमत: ऽप्यधिकोऽस्ति लोके ||”
सौशील्यमाधुर्यनयानायैश्च |
गाम्भीर्यचातुर्यसुवीर्यधैर्यै-
र्हनूमत: ऽप्यधिकोऽस्ति लोके ||”
.................(वा०रा०७|३६\४४)
विशेषता तो यह है कि श्रीहनुमान जी की उपासना से उनके भक्तों में
अभीष्ट गुण प्रकट होने लगते हैं | यथा---
“बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगता |
अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनुमत्समरणाद्भवेत् ||”
अजाड्यं वाक्पटुत्वं च हनुमत्समरणाद्भवेत् ||”
(श्रीहनुमान जी के स्मरण से मनुष्य में बुद्धि,
बल, यश, धैर्य,निर्भयता, आरोग्यता, विवेक और
वाक्पटुता आदि गुण आ जाते हैं )
गोस्वामी तुलसीदास जी “हनुमान
चालीसा” में कहते हैं –
“दुर्गम काज जगत के जेते | सुगम
अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||”
नासै रोग हरै सब पीरा | जपत निरंतर हनुमत बीरा ||”
माँ जानकी के वरप्रदान से आप अष्ट-सिद्धि-नवनिधि के दाता भी हैं –
“अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता अस वर दीन्ह जानकी माता
“
इसलिए हम सभी द्वारा श्रीरामभक्त हनुमान जी की उपासना जोरों से
प्रचलित होनी चाहिए |
{कल्याण
श्रीहनुमान अंक}
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें