जो क्रोध में आकर अथवा किसी बात से दु:खी होकर आत्महत्या कर लेता
है, वह दुर्गति में चला जाता है अर्थात्
भूत-प्रेत-पिशाच बन जाता है | आत्महत्या करने वाला महापापी
होता है | कारण कि यह मनुष्य- शरीर भगवत्प्राप्ति के लिए ही
मिला है; अत: भगवत्प्राप्ति न करके अपने ही हाथ से
मनुष्य-शरीर को खो देना बड़ा भारी पाप है, अपराध है दुराचार
है | दुराचारी की सद्गति कैसे होगी ?
अत:मनुष्य को कभी भी आत्महत्या करने का विचार मन में नहीं आने देना
चाहिए |
--गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित दुर्गति से बचो
नामक पुस्तक से
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