शनिवार, 23 मार्च 2019

जय श्रीहरि




मूकं करोति वाचालं पङ्गुं लङ्घयते गिरिं 
यत्कृपा
 तमहं वन्दे परमानन्द माधवम् 

(जिनकी कृपा से गूंगे बोलने लगते हैं, लंगड़े पहाड़ों को पार कर लेते हैं, उन परम आनंद स्वरूप श्रीमाधव की मैं वंदना करता हूँ)





1 टिप्पणी:

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - बत्तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - बत्तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०४) धूममार्ग और अर्चिरादि मार्गसे जानेवालोंकी गतिका ...