शुक्रवार, 21 जून 2019

श्रीमद्भागवतमहापुराण सप्तम स्कन्ध – पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥

श्रीमद्भागवतमहापुराण
सप्तम स्कन्ध – पाँचवाँ अध्याय..(पोस्ट०३)

हिरण्यकशिपु के द्वारा प्रह्लादजी के वध का प्रयत्न

श्रीप्रह्लाद उवाच

परः स्वश्चेत्यसद्ग्राहः पुंसां यन्मायया कृतः
विमोहितधियां दृष्टस्तस्मै भगवते नमः ||११||

प्रह्लादजी ने कहाजिन मनुष्यों की बुद्धि मोह से ग्रस्त हो रही है, उन्हीं को भगवान्‌ की माया से यह झूठा दुराग्रह होता देखा गया है कि यह अपनाहै और यह पराया। उन मायापति भगवान्‌ को मैं नमस्कार करता हूँ ॥ ११ ॥

शेष आगामी पोस्ट में --
गीताप्रेस,गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भागवतमहापुराण  (विशिष्टसंस्करण)  पुस्तककोड 1535 से




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्रीमद्भागवतमहापुराण तृतीय स्कन्ध - बत्तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०८)

॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥ श्रीमद्भागवतमहापुराण  तृतीय स्कन्ध - बत्तीसवाँ अध्याय..(पोस्ट०८) धूममार्ग और अर्चिरादि मार्गसे जानेवालोंकी गतिका  ...