शुक्रवार, 28 जून 2019

‘अपने द्वारा अपना उद्धार करे’



श्रीहरि:

अपना कल्याण न गुरुके अधीन है, न सन्तोंके अधीन है और न ईश्वरके अधीन है, यह तो स्वयंके अधीन है‒‘उद्धरेदात्मनात्मानम्’ (गीता ६ । ५) अपने द्वारा अपना उद्धार करे। आप नहीं करोगे तो कल्याण नहीं होगा, नहीं होगा । लाखों गुरु बना लो तो भी कल्याण नहीं होगा । जब भूख भी खुद रोटी खानेसे ही मिटती है, फिर कल्याण दूसरा कैसे करेगा ? आपकी लगनके बिना भगवान् भी आपका कल्याण नहीं कर सकते, फिर गुरु कर देगा, महात्मा कर देगाइस ठगाईमें, इस चक्करमें मत आना । इसमें धोखा है, धोखा है ! पहले ही फँसे हुए हो,गुरु मिल जाय तो और फँस जाओगे ! जब परमात्माके रहते हुए हमारा कल्याण नहीं हुआ तो क्या उनसे भी तेज महात्मा आ जायगा ! दयालु, सर्वज्ञ और सर्वसमर्थ प्रभुके रहते हुए हमारा कल्याण नहीं हुआ, फिर गुरुसे कैसे होगा ? क्या भगवान् मर गये या बीमार हो गये या उनकी शक्ति कम हो गयी ? आपको खुदको ही लगना पड़ेगा । आप खुद लग जाओ तो गुरु, सन्त-महात्मा, भगवान् आदि सब-के-सब आपके सहायक हो जायँगे । बच्चेको भूख न हो तो दयालु माँ भी क्या करेगी? आपकी लगनके बिना कौन कल्याण करेगा और कैसे करेगा ?

अनन्त युग बीत गये, फिर भी हमारा कल्याण क्यों नहीं हुआ ? क्या भगवान्‌की दयालुतामें, सर्वज्ञतामें, सर्वसमर्थतामें कोई कमी है ? क्या गुरु भगवान्‌से ज्यादा दयालु, सर्वज्ञ और सर्वसमर्थ है ? जैसे अपना पतन आप खुद कर रहे हो, दूसरा नहीं, ऐसे ही अपना उत्थान भी आपको खुद ही करना पड़ेगा,अन्यथा परमात्माके रहते हुए आप दुःख क्यों पा रहे हो ? आपके तैयार हुए बिना कोई कल्याण नहीं कर सकता और आप तैयार हो जाओ तो कोई बाधा नहीं दे सकता ।


‒---गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक लक्ष्य अब दूर नहीं !से



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